जी हां ! उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बोगस कार्डधारकों की भरमार हैं। मजेदार बात यह है कि इसकी खबर शासन, प्रशासन को भी है लेकिन क्या करें इसमें तो उनसे भी चूक हुयी हैं। हुआ यूं कि पूर्ति विभाग ने ऐसे लोगों को भी कार्ड थमा दिया जो कि उसके हकदार नहीं थे नतीजा यह हुआ कि बोगस कार्डधारकों की भरमार हो गयी। भेद खुलते-खुलते देर हो गयी और फिर सच्चाई सामने आयी लेकिन अब कोई कुछ नहीं कर सकता हैं। फिलहाल शासन, प्रशासन की यह कवायद पात्रों के लिए सुखद संकेत है।
बुधवार, 24 जून 2015
सोमवार, 22 जून 2015
रसोई गैस की हो रही कालाबाजारी
सोनभद्र जिले में कनेक्शनधारकों को रसोई गैस के लिए गैस एजेंसियों का कई दिनों तक चक्कर लगाना पड़ रहा हैं। इसके बाद भी उनको गैस नहीं मिल रहा हैं उनके पास जल्दी गैस पाने का एक ही रास्ता हैं वह यह हैं कि वह ब्लैक में ले ले। इसके आलावा उनके पास सिर्फ इंतजार करने का ही रास्ता हैं। कनेक्शनधारकों का कहना हैं कि गैस एजेंसियां रसोई गैस की कालाबाजारी कर रही हैं। जिसकी वजह से ही उनको गैस नहीं मिल रहा हैं। शिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं हो रही हैं। उनका यह कहना हैं कि आखिर वह अपनी शिकायत कहां दर्ज करायें जिससे कि उनकी समस्या का निस्तारण हो सकें। http://shakti-anand.blogspot.com/
कोटेदार बेच रहे राशन
सरकार की लाख कवायद के बाद भी कार्डधारकों को राशन नहीं मिल रहा है। कोटेदार राशन को बाजार में बेच कर कार्डधारकों का हक मार रहे हैं साथ ही राशन बिकने से मिलने वाले पैसे का कुछ हिस्सा कर्मचारी को देकर उनका मुंह बंद कर दे रहे हैं। ऐसा नहीं है कि पूर्ति विभाग के उच्चाधिकारियों को इस बारे में कुछ नही मालूम है लेकिन वह भी जांच के बहाने अपना हिस्सा लेते हैं। कार्डधारकों में राशन वितरित कराने के लिए विभाग के अधिकारी, कर्मचारी निरीक्षण करते हैं और सरकारी कागजों में निरीक्षण की खानापूर्ति कर कोटेदार को राशन बेचने का लाइसेंस दे देते हैं। यदि कोई साहब उनके इस कार्य में रोड़ा पहुंचाने का प्रयास करते हैं तो उनकी जेब भी गर्म कर उन्हें खामोश कर देते हैं। ऐसे में सवाल यह हैं कि कार्डधारकों को राशन कैसे मिलेगा।
रविवार, 21 जून 2015
फिर भी क्यों होती है भूख से मौतें!
अभी प्रदेश में ऐसे तमाम गांव हैं जहां गरीबों का राशन कार्ड नहीं बना हैं। इन गांवों में रहने वाले लोग इतने गरीब हैं कि दिनभर मजदूरी करके किसी तरह से अपना व अपने परिवार का पेट भर रहें है। राशन कार्ड बनाने के लिए वह पूर्ति विभाग का चक्कर लगाते रहते हैं लेकिन उनका राशन कार्ड नहीं बनता है। किसी दिन उनकी कमाई नहीं हुयी तो उन्हें भूखे पेट सोना पड़ता हैं। दो-चार दिन के बाद वह भूख से दम तोड़ देते ह। मीडिया रिपोर्ट भूख से होने वाली मौतों की पुष्टि करती हैं लेकिन इसे प्रशासन मानने से इंकार कर देता हैं। गरीबों को राशन पहुंचाने की सरकार की तमाम नीतियों को अधिकारी, कर्मचारी नाकाम कर दे रहे हैं। हद तब हो जाती हैं जब उनके पास कोई गरीब आकर राशन कार्ड के लिए गिड़गिड़ाता हैं लेकिन वह कुछ फजूल सी बातें कह कर उन्हें भगा देते हैं। जिनकी पहुंच ऊपर तक होती हैं उनका राशन कार्ड आसानी से बन जाता हैं। सरकार अधिकारियों, कर्मचारियों की इस तरह की मनमानी पर अंकुश लगाने में पूरी तरह से विफल साबित हो रही हैं। ऐसे में गरीबो की भूख से मौत होना लाजमी हैं। आज भी प्रदेश के कुछ गांव की तस्वीर बद से बदत्तर हैं लेकिन यहां कोई झांकने वाला नहीं है। सरकार को इस ओर ठोस कदम उठाना होगा। शासन, प्रशासन सभी को मिल कर भूख से हो रही मौतों के खिलाफ एक कार्य योजना बनानी होगी और उसका अनुपालन सख्ती से कराना होगा तभी भूख से होने वाली मौतों पर अंकुश लग सकेगा।
कागजों में हो रहा समग्र विकास
डा. अम्बेडकर ग्रामीण समग्र विकास योजना का मुख्य उददेश्य प्रदेश की ग्राम सभाओं का समग्र विकास करना हैं जिससे कि ग्राम सभाओं के सभी वर्गो के लोग विकास की मुख्य धारा से जुङ सकें तथा विकास का लाभ सभी को मिल सकें लेकिन अफसरों की कार्य प्रणाली से ऐसा नही लग रहा हैं कि यह योजना सफल हो पायेगी।
गुरुवार, 18 जून 2015
नहीं हो रहा योजनाओं का क्रियान्वयन
केन्द्र व प्रदेश सरकार गरीबों के हित में तमाम योजनाएं चला रही हैं लेकिन उन योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं हो रहा हैं। सरकार ने इन्दिरा आवास योजना, स्वच्छ पेयजल, रोजगार गारन्टी योजना, विकलांग पेंशन, पोलिया उन्मूलन सहित तमाम योजनाएं, जो सर्वसमाज के उत्थान और उन्हें समाज की मुख्य धारा में जोङने में मील का पत्थर साबित होगा। अफसरों को चाहिए कि वह योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से करें।
मंगलवार, 16 जून 2015
योजना + लुट = अफसर
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में केन्द्र व प्रदेश सरकार की जनहित की तमाम योजनाएं कागजों में चल रही हैं। जमीनी सच्चाई चौकाने वाली ही नहीं, डरावनी वाली भी हैं। वृध्दावस्था पेंशन, पारिवारिक लाभ योजना, विकलांग पेंशन, छात्रवृत्ति योजना, मातृ एवं शिशु कल्याण स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना तथा स्वास्थ्य योजना, गरीबों को आवासीय सुविधाएं, रोजगार सृजन आदि योजनाएं गरीब, पिछड़ो के जीवन में एक नया बदलाव ला सकती हैं। सरकार ने सभी वर्गों के हित को ध्यान में रखकर इन योजनाओं को बनाया लेकिन अफसरों की कार्यप्रणाली ने इन योजनाओं का लाभ पात्रों तक नहीं पहुंचने दिया। लूट, खसोट की व्यवस्था को अब ऊपरी मन से ही सही लेकिन अफसर अपनाने लगे हैं।
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