गुरुवार, 9 जुलाई 2015

सद्भावना और भावना

हम ऐसे देश मे रहते है, जहाँ भावना जल्द जागती है और देर से सोती है, पर सद्भावना देर से उठ कर जल्द सो जाती है  @SHAKTIANAND1

कामयाबी

कामयाबी किसी चिडिया का नाम नही, बल्कि वो तो एक शिकार है, जो अवसर पर प्रयास न करने पर दुर चली जाती है, और फ़िर तलाश करनी पड़ती है 

सोमवार, 29 जून 2015

यहां चलती है साहब की हुकूमत!

Shakti Anand Kanaujiya
यहां साहब की हुकूमत चलती है! नियम, शासनादेश सब बेईमानी है जो साहब ने कह दिया, वही होना है हम बात कर रहे है लोक निर्माण विभाग की। बड़े साहब का फरमान सर आंखो पर, जो कह दिया वह पत्थर की लकीर है। कोई कर्मचारी नेता विरोध करता है तो उसे हिदायत दी जाती है कि ऐसी भूल न करो न तो पश्चाना पड़ेगा। कर्मचारियों की क्या मजाल है कि वह कुछ बोल पायें। विभागीय सूत्रों की मानें तो लोक निर्माण विभाग के बड़े साहब के आगे किसी की नही चलती है। जो विभागीय कार्य होते है वह अपनी इच्छा से करवाते है पता चला है कि साहब की शासन में काफी पकड़ है। सड़के निर्माण कराने का कार्य हो या कोई अन्य, हो ही नही सकता है उसमें गड़बड़ी न हो। एकाध काम छोड़ दिया जाय तो सब में गड़बड़ी है और बड़े पैमाने पर। यह बात तो कर्मचारी यूनियन भी जानते है लेकिन वह अपनी पेट पर लात क्यों मारेंगे क्योंकि साहब से कह कर कई काम कराते है कुछ नेता विरोध करते भी है तो वह हिदायत पा जाते है और उनके लिए इतना काफी है। बताया जाता है कि साहब बड़े-बड़े घोटाले किए है और उसे पचा भी गये है उनकी पचाने की क्षमता काफी है। किसी में जांच आ भी गयी तो कौन जांच करेगा। शासन में कुछ ले देकर वह मामला सब फिट कर देंगे। उनसे उलझने की हिम्मत कोई नही करता है। कुछ कर्मचारी भी इसी में हाथ सेक लेते है यदि कुछ चर्चित अधिकारी, कर्मचारी की आय से अधिक सम्पत्ति की जांच करा दी जाय तो मामला आईने की तरह साफ हो जाएगा और सच जनता के सामने आ जायेगा। ऐसे में लोक निर्माण विभाग का भगवान ही मालिक है।http://shakti-anand.blogspot.com

बुधवार, 24 जून 2015

बोगस कार्डधारकों की भरमार



जी हां ! उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बोगस कार्डधारकों की भरमार हैं। मजेदार बात यह है कि इसकी खबर शासन, प्रशासन को भी है लेकिन क्या करें इसमें तो उनसे भी चूक हुयी हैं। हुआ यूं कि पूर्ति विभाग ने ऐसे लोगों को भी कार्ड थमा दिया जो कि उसके हकदार नहीं थे नतीजा यह हुआ कि बोगस कार्डधारकों की भरमार हो गयी। भेद खुलते-खुलते देर हो गयी और फिर सच्चाई सामने आयी लेकिन अब कोई कुछ नहीं कर सकता हैं। फिलहाल शासन, प्रशासन की यह कवायद पात्रों के लिए सुखद संकेत है। 

सोमवार, 22 जून 2015

रसोई गैस की हो रही कालाबाजारी


सोनभद्र जिले में कनेक्शनधारकों को रसोई गैस के लिए गैस एजेंसियों का कई दिनों तक चक्कर लगाना पड़ रहा हैं। इसके बाद भी उनको गैस नहीं मिल रहा हैं उनके पास जल्दी गैस पाने का एक ही रास्ता हैं वह यह हैं कि वह ब्लैक में ले ले। इसके आलावा उनके पास सिर्फ इंतजार करने का ही रास्ता हैं। कनेक्शनधारकों का कहना हैं कि गैस एजेंसियां रसोई गैस की कालाबाजारी कर रही हैं। जिसकी वजह से ही उनको गैस नहीं मिल रहा हैं। शिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं हो रही हैं। उनका यह कहना हैं कि आखिर वह अपनी शिकायत कहां दर्ज करायें जिससे कि उनकी समस्या का निस्तारण हो सकें। http://shakti-anand.blogspot.com/

कोटेदार बेच रहे राशन

सरकार की लाख कवायद के बाद भी कार्डधारकों को राशन नहीं मिल रहा है। कोटेदार राशन को बाजार में बेच कर कार्डधारकों का हक मार रहे हैं साथ ही राशन बिकने से मिलने वाले पैसे का कुछ हिस्सा कर्मचारी को देकर उनका मुंह बंद कर दे रहे हैं। ऐसा नहीं है कि पूर्ति विभाग के उच्चाधिकारियों को इस बारे में कुछ नही मालूम है लेकिन वह भी जांच के बहाने अपना हिस्सा लेते हैं। कार्डधारकों में राशन वितरित कराने के लिए विभाग के अधिकारी, कर्मचारी निरीक्षण करते हैं और सरकारी कागजों में निरीक्षण की खानापूर्ति कर कोटेदार को राशन बेचने का लाइसेंस दे देते हैं। यदि कोई साहब उनके इस कार्य में रोड़ा पहुंचाने का प्रयास करते हैं तो उनकी जेब भी गर्म कर उन्हें खामोश कर देते हैं। ऐसे में सवाल यह हैं कि कार्डधारकों को राशन कैसे मिलेगा।

रविवार, 21 जून 2015

फिर भी क्यों होती है भूख से मौतें!



अभी प्रदेश में ऐसे तमाम गांव हैं जहां गरीबों का राशन कार्ड नहीं बना हैं। इन गांवों में रहने वाले लोग इतने गरीब हैं कि दिनभर मजदूरी करके किसी तरह से अपना व अपने परिवार का पेट भर रहें है। राशन कार्ड बनाने के लिए वह पूर्ति विभाग का चक्कर लगाते रहते हैं लेकिन उनका राशन कार्ड नहीं बनता है। किसी दिन उनकी कमाई नहीं हुयी तो उन्हें भूखे पेट सोना पड़ता हैं। दो-चार दिन के बाद वह भूख से दम तोड़ देते ह। मीडिया रिपोर्ट भूख से होने वाली मौतों की पुष्टि करती हैं लेकिन इसे प्रशासन मानने से इंकार कर देता हैं। गरीबों को राशन पहुंचाने की सरकार की तमाम नीतियों को अधिकारी, कर्मचारी नाकाम कर दे रहे हैं। हद तब हो जाती हैं जब उनके पास कोई गरीब आकर राशन कार्ड के लिए गिड़गिड़ाता हैं लेकिन वह कुछ फजूल सी बातें कह कर उन्हें भगा देते हैं। जिनकी पहुंच ऊपर तक होती हैं उनका राशन कार्ड आसानी से बन जाता हैं। सरकार अधिकारियों, कर्मचारियों की इस तरह की मनमानी पर अंकुश लगाने में पूरी तरह से विफल साबित हो रही हैं। ऐसे में गरीबो की भूख से मौत होना लाजमी हैं। आज भी प्रदेश के कुछ गांव की तस्वीर बद से बदत्तर हैं लेकिन यहां कोई झांकने वाला नहीं है। सरकार को इस ओर ठोस कदम उठाना होगा। शासन, प्रशासन सभी को मिल कर भूख से हो रही मौतों के खिलाफ एक कार्य योजना बनानी होगी और उसका अनुपालन सख्ती से कराना होगा तभी भूख से होने वाली मौतों पर अंकुश लग सकेगा।

कोई बुरा ना माने,

मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...