विचारो के मंथन से माखन जैसे अभिव्यक्ति जन्म लेती है, पर भेड़चाल वाली स्वीकारिता जहर के समान होती है @SHAKTIANAND1
शनिवार, 11 जुलाई 2015
शब्दों का जादूगर
शब्दों को क्या कहू, कमबख्त हर स्वाद उनके अन्दर है, जिसे उनकी जादूगरी आ गई वो शब्दों का जादूगर बन जाता है @SHAKTIANAND1
गुरुवार, 9 जुलाई 2015
सद्भावना और भावना
हम ऐसे देश मे रहते है, जहाँ भावना जल्द जागती है और देर से सोती है, पर सद्भावना देर से उठ कर जल्द सो जाती है @SHAKTIANAND1
कामयाबी
कामयाबी किसी चिडिया का नाम नही, बल्कि वो तो एक शिकार है, जो अवसर पर प्रयास न करने पर दुर चली जाती है, और फ़िर तलाश करनी पड़ती है @SHAKTIANAND1
सोमवार, 29 जून 2015
यहां चलती है साहब की हुकूमत!
@ Shakti Anand Kanaujiya
यहां साहब की हुकूमत चलती है! नियम, शासनादेश सब बेईमानी है जो साहब ने कह दिया, वही होना है हम बात कर रहे है लोक निर्माण विभाग की। बड़े साहब का फरमान सर आंखो पर, जो कह दिया वह पत्थर की लकीर है। कोई कर्मचारी नेता विरोध करता है तो उसे हिदायत दी जाती है कि ऐसी भूल न करो न तो पश्चाना पड़ेगा। कर्मचारियों की क्या मजाल है कि वह कुछ बोल पायें। विभागीय सूत्रों की मानें तो लोक निर्माण विभाग के बड़े साहब के आगे किसी की नही चलती है। जो विभागीय कार्य होते है वह अपनी इच्छा से करवाते है पता चला है कि साहब की शासन में काफी पकड़ है। सड़के निर्माण कराने का कार्य हो या कोई अन्य, हो ही नही सकता है उसमें गड़बड़ी न हो। एकाध काम छोड़ दिया जाय तो सब में गड़बड़ी है और बड़े पैमाने पर। यह बात तो कर्मचारी यूनियन भी जानते है लेकिन वह अपनी पेट पर लात क्यों मारेंगे क्योंकि साहब से कह कर कई काम कराते है कुछ नेता विरोध करते भी है तो वह हिदायत पा जाते है और उनके लिए इतना काफी है। बताया जाता है कि साहब बड़े-बड़े घोटाले किए है और उसे पचा भी गये है उनकी पचाने की क्षमता काफी है। किसी में जांच आ भी गयी तो कौन जांच करेगा। शासन में कुछ ले देकर वह मामला सब फिट कर देंगे। उनसे उलझने की हिम्मत कोई नही करता है। कुछ कर्मचारी भी इसी में हाथ सेक लेते है यदि कुछ चर्चित अधिकारी, कर्मचारी की आय से अधिक सम्पत्ति की जांच करा दी जाय तो मामला आईने की तरह साफ हो जाएगा और सच जनता के सामने आ जायेगा। ऐसे में लोक निर्माण विभाग का भगवान ही मालिक है।http://shakti-anand.blogspot.com
बुधवार, 24 जून 2015
बोगस कार्डधारकों की भरमार
जी हां ! उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बोगस कार्डधारकों की भरमार हैं। मजेदार बात यह है कि इसकी खबर शासन, प्रशासन को भी है लेकिन क्या करें इसमें तो उनसे भी चूक हुयी हैं। हुआ यूं कि पूर्ति विभाग ने ऐसे लोगों को भी कार्ड थमा दिया जो कि उसके हकदार नहीं थे नतीजा यह हुआ कि बोगस कार्डधारकों की भरमार हो गयी। भेद खुलते-खुलते देर हो गयी और फिर सच्चाई सामने आयी लेकिन अब कोई कुछ नहीं कर सकता हैं। फिलहाल शासन, प्रशासन की यह कवायद पात्रों के लिए सुखद संकेत है।
सोमवार, 22 जून 2015
रसोई गैस की हो रही कालाबाजारी
सोनभद्र जिले में कनेक्शनधारकों को रसोई गैस के लिए गैस एजेंसियों का कई दिनों तक चक्कर लगाना पड़ रहा हैं। इसके बाद भी उनको गैस नहीं मिल रहा हैं उनके पास जल्दी गैस पाने का एक ही रास्ता हैं वह यह हैं कि वह ब्लैक में ले ले। इसके आलावा उनके पास सिर्फ इंतजार करने का ही रास्ता हैं। कनेक्शनधारकों का कहना हैं कि गैस एजेंसियां रसोई गैस की कालाबाजारी कर रही हैं। जिसकी वजह से ही उनको गैस नहीं मिल रहा हैं। शिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं हो रही हैं। उनका यह कहना हैं कि आखिर वह अपनी शिकायत कहां दर्ज करायें जिससे कि उनकी समस्या का निस्तारण हो सकें। http://shakti-anand.blogspot.com/
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