बिहार के छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखने वाले एक आम इंसान ने चांद को छू लेने जैसे सपने देखे। उसे पूरा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। इंजीनियरिंग की पढ़ाई से लेकर महज 34 वर्ष की उम्र में भारतीय फिल्म जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई और कामयाबी की बुलंदियों की ओर धीरे-धीरे बढ़ते हुए ऊंचाई पाई। यह सुशांत सिंह राजपूत की कठिन परिश्रम का नतीजा था। अचानक उनकी खुदकुशी की खबर ने सभी को चकित कर दिया। यह आत्महत्या की खबर तथाकथित समाज विकास की विडंबनापूर्ण एवं त्रसद तस्वीर को बयां करती है। इस तरह आत्महत्या करना जीवन से पलायन का डरावना सत्य है। संपूर्ण मानवता इनके इस कदम से आहत है।
बुधवार, 17 जून 2020
चीन को जवाब जरूरी
अच्छे पडोसी एक दूसरे के काम आते हैं‚ जिसमें उनकी भलाई है। मगर पडोसी देश पाकिस्तान‚ चीन के बाद अब पिद्दी सा देश नेपाल भी भारत के क्षेत्र को अपने नक्शे में दिखाकर आंख दिखा रहा है‚ जो बड़े आश्चर्य की बात है। इससे यह साफ है कि पाकिस्तान और नेपाल ये हरकतें सिर्फ चीन के इशारे पर ही कर रहे हैं वरना तो इनकी औकात ही क्या है। सबसे पहले तो चीन से ही अब दो हाथ करने होंगे। इसके बाद इन दूसरों की तो कोई हिम्मत ही न होगी। देश आज शक्ति और संसाधनों से किसी से पीछे नहीं है। ऐसे में अच्छी‚ ठोस और सही नीति तथा नीयत से आगे बढ़ना जरूरी है।
अश्लीलता के खिलाफ
विगत कुछ वर्षों में आधुनिकता और मनोरंजन के नाम पर फिल्मों समेत वीडियो, गाने आदि में धड़ल्ले से अब अश्लीलता परोसी जाने लगी है। सबसे बड़ी दिक्कत की बात यह है कि लोग इसे आधुनिकता का प्रतीक मानकर सामान्य जीवन में भी उतारने लगे हैं। इससे न केवल भारतीय संस्कृति और सभ्यता पर गहरा दाग लग रहा है, बल्कि बच्चे, बुजुर्ग, युवा, सभी के मन-मस्तिष्क में अश्लीलता पनपने लगी है। इसी का नतीजा है कि देश के विभिन्न हिस्सों से दुष्कर्म की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। प्राचीन समय में सिनेमा जागरूकता, आचार-व्यवहार, संस्कार, न्याय और सभ्य जीवन शैली सिखाने का एक सशक्त-सकारात्मक माध्यम था, पर आज यह हमारे समाज को दीमक की तरह चट कर रहा है। साफ है, सेंसर बोर्ड इसके लिए जिम्मेदार है। अश्लीलता रोकने की बजाय वह अपनी मोटी कमाई के लिए बेसिर-पैर की फिल्मों को जारी करने की अनुमति देता है। इस प्रवृत्ति पर जल्द से जल्द रोक लगनी चाहिए।
चीन की नापाक हरकत
चीन ने लद्दाख में हाल ही में जो नापाक हरकत की‚ वो उसके नापाक इरादों को उजागर करती है। जहां एक तरफ आज जब सारी दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना के संकट से जूझ रही है‚ वहीं हमारे देश के नापाक पड़ोसी देशों को शरारत करने की सूझ रही है‚ जोकि बहुत ही शर्मनाक और निंदनीय है। चीन ने भारत–चीन सीमा पर गलवान घाटी में पाकिस्तान जैसी अपनी नापाक हरकत को अंजाम देकर यह साफ कर दिया कि यह भी भरोसे लायक नहीं है‚ इसकी कथनी–करनी में जमीन आसमान का फर्क है‚ यह भी दोस्ती की आड़ में दुश्मनी निभा सकता है‚ लेकिन फिर भी चीन की इस नापाक हरकत ने मोदी सरकार की विदेश नीति और नापाक पडोसियों को सख्त सबक सिखाने की नीयत को भी कटघरे में खड़ा कर दिया।
दिनचर्या चलाना मुश्किल
तेल की कीमतों में नरमी आने के बावजूद देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में कोई भी राहत नहीं हुई है। आम जनता ने इस पर आपत्ति जताई तो पेट्रोलियम उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि यह वृद्धि अवश्यंभावी है क्योंकि कोविड–१९ महामारी के कारण जब देश में लॉकडाउन लागू कर दिया गया एवं आÌथक गतिविधियां ठप हो गई थीं‚ तो तब पेट्रोलियम पदार्थों के दाम एक समय में दो दशक के निम्न स्तर पर पहुंच गए थे। परंतु गौरतलब है कि जहां लोग पहले से ही लॉकडाउन के कारण अपनी जेबें जरूरत से ज्यादा ढीली कर चुके हैं‚ तो ऐसे में महंगाई इतनी बढ़ जाएगी तो लोग अपनी दिनचर्या कैसे जिएंगे॥
मंगलवार, 16 जून 2020
नेपाल की मंशा
पड़ोसी देश नेपाल जिस तरह से चीन की जुबान बोल रहा है, उससे लगता है कि चीन कोई राजनीतिक चाल चलने की तैयारी कर चुका है। भारत की चेतावनी के बाद भी नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा इलाके को अपने नए नक्शे में शामिल कर लिया और उस पर राजनीतिक मुहर लगा दी। इससे लगता है कि वह पूरी तरह से भारत के साथ अपने रिश्तों को भूल चुका है। सीमा पर बेवजह का विवाद खड़ा करके वह चीन के हाथों की कठपुतली बन गया है। इस विवाद से निरंतर नेपाल और भारत के संबंध बिगड़ रहे हैं। अच्छी बात है कि भारत ने अब भी बातचीत करके मसले को सुलझाने का भरोसा दिया है। इससे नेपाल को भारत की भलमनसाहत का एहसास हो जाना चाहिए।
अफवाहों को रोकें
जब हमारा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है और सरकार-प्रशासन समेत सभी संवेदनशील नागरिक अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं, तब कुछ लोग सोशल मीडिया पर अनाप-शनाप जानकारी साझा कर रहे हैं, जबकि इसके माध्यम से सरकारी अधिकारी भी आम लोगों के लिए दिशा-निर्देश जारी करते रहते हैं। दिक्कत यह है कि जागरूकता के अभाव में कई लोग इन भ्रामक जानकारियों में फंस जाते हैं। इन अराजक तत्वों पर जल्द से जल्द कार्रवाई होनी चाहिए। यह संबंधित विभाग का दायित्व है कि वह स्वत: संज्ञान लेकर उन लोगों पर कार्रवाई करे, जो गलत सूचनाएं साझा करते हैं और लोगों को भ्रमित करते हैं। आज जब देश एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है,तब सोशल मीडिया के माध्यम से हम कई अच्छे काम कर सकते हैं। एकांतवास के इस दौर में आभासी तौर पर लोगों को जोड़ना वक्त की मांग है। रिश्तों को तोड़ने की कोशिश करना अक्षम्य अपराध माना जाना चाहिए।
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