शनिवार, 20 जून 2020

वचरुअल सुनवाई

कोरोना काल में एकबारगी तेजी से फैले वचरुअल प्लेटफॉर्म ने बहुत कुछ आसान तो बना दिया, लेकिन कई बार असहज स्थिति भी पैदा होने लगी। सुप्रीम कोर्ट की वचरुअल सुनवाई के दौरान देश के जाने-माने वकील मुकुल रोहतगी बहस कर रहे थे। कैमरे पर दिखे तो उनके पीछे लगी बड़ी मूर्तियों को देखकर न्यायाधीश ने पूछ लिया- क्या आप म्यूजियम में हैं। वकील ने ङोंपते हुए कहा, ‘नहीं, माईलार्ड मै अपने फार्म हाउस में हूं। आजकल यहीं शिफ्ट हो गया हूं ताकि दोनों समय स्वीमिंग कर सकूं। दो दिन बाद फिर वही वकील साहब एक अन्य केस में पेश हुए। इस बार वह जहां बैठे थे उनके पीछे पेंटिंग लगीं थीं। संयोग से वही न्यायाधीश सुनवाई कर रहे थे और उन्होंने फिर पूछा कि क्या आप आर्ट गैलरी में हैं? वकील साहब ने कहा, ‘नहीं, माई लार्ड यह मेरा घर है। मै अपने घर आ गया हूं।’

पांच लाख करोड़ का रहस्य

एमएसएमई के लिए यूं तो सरकार ने तीन लाख करोड़ रुपये के लोन का पैकेज घोषित किया है, लेकिन बड़ी दिलचस्पी पांच लाख करोड़ रुपये के रहस्य को लेकर है। दरअसल एमएसएमई मंत्रलय की ओर से अनौपचारिक रूप से कहा गया कि केंद्र सरकार के पीएसयू एवं विभागों पर छोटे उद्यमियों का पांच लाख करोड़ रुपये का बकाया है। हालांकि इस पांच लाख करोड़ का कभी विवरण जारी नहीं किया गया है कि आखिर किन विभागों और पीएसयू पर कितना बकाया है। मगर सब कुछ जोड़-जाड़कर यह रकम पांच लाख करोड़ रुपये बैठती है। वैसे अभी भी यह तय नहीं है कि यह फंसी हुई रकम आखिर कब तक निकल सकेगी, लेकिन उद्यमी इस बात को ही सोचकर खुश हो रहे हैं कि कभी न कभी तो ये पांच >> लाख करोड़ रुपये मिलेंगे।

शुक्रवार, 19 जून 2020

चीन का करें बहिष्कार

लद्दाख सीमा पर चीन के सैनिकों की कायराना हरकत से हमारा देश असहनीय पीड़ा से गुजर रहा है। इस घटना के बाद से भारत में स्वाभाविक तौर पर चीन का विरोध शुरू हो गया है। चूंकि भारत एक बड़ा बाजार है, इसलिए यहां चीन से काफी ज्यादा उत्पाद भी आते हैं। मगर अब भारत की जनता और स्थानीय कंपनियों ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। खबर है कि भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनी से साथ किया करार रद्द कर दिया है, तो बीएसएनएल और एमटीएनएल जैसी दूरसंचार कंपनियों में अब चीन की कंपनियों को टेंडर-प्रक्रिया में भाग नहीं लेने दिया जाएगा। जगह-जगह देश की जनता ने भी ‘बायकॉट मेड इन चाइना' की तख्ती टांगकर चीनी उत्पादों को जलाना शुरू कर दिया है। इसका चीन पर असर होगा, क्योंकि उसकी मजबूती उसके व्यापार से है, जो काफी हद तक वह भारत के साथ करता है। अगर प्रत्येक भारतीय यह फैसला कर ले कि वह चीनी सामान का इस्तेमाल नहीं करेगा, तो निश्चय ही शहीद हुए वीर जवानों को हम सच्ची श्रद्धांजलि दे सकेंगे।


योग की सार्थकता

योग का उद्देश्य व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाना है। कहा भी गया है कि पहला सुख निरोगी काया है, और निरोग शरीर के लिए योग के साथ-साथ हमारी दिनचर्या भी संयमित होनी चाहिए। पूरी दुनिया ने योग के होने वाले फायदों को महसूस किया है, इसलिए 21 जून को योग दिवस के मौके पर पूरा विश्व योग-क्रिया करता है। योग का लक्ष्य स्वास्थ्य-सुधार से लेकर मोक्ष प्राप्त करने तक है। यह एक कला है, जो स्वस्थ शरीर के साथ-साथ स्वस्थ मन को गढ़ने का काम करता है। इससे मिलने वाले प्रत्यक्ष और परोक्ष लाभ को देखते हुए हर आदमी को इसे अपने जीवन में उतारना चाहिए। अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें रोजाना योग अवश्य करना चाहिए। इससे हमें कई तरह के फायदे मिलेंगे।


व्यावहारिक नहीं है विरोध

आवेश में आकर चीनी उत्पादों का दहन। उसके झंडे जलाना। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पुतले और तस्वीरों में आग लगाना। चीनी उत्पादों के बहिष्कार के नारे लगाना। उनको न खरीदने की कसमें खाना। ये सब क्षणिक मानसिक गुस्से का स्वाभाविक इजहार है। मगर चीन पर हमारी निर्भरता इतनी है कि एकबारगी अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। दवा उत्पादों में लगने वाले कच्चे माल से लेकर ऑटोमोबाइल के कल-पुर्जे और इलेक्ट्रॉनिक सामान तक हम आमतौर पर चीन से ही मंगवाते हैं। चीन के उत्पादों की लोकप्रियता का बड़ा कारण यही है कि वे सस्ते होते हैं, जो भारत जैसे गरीब देश की जनता के लिए काफी मायने रखते हैं। इसलिए एक झटके में हम चीन से अपना कारोबारी रिश्ता खत्म नहीं कर सकते। दीर्घ अवधि की कोई योजना ही इसमें कारगर हो सकती है।


गरीबों के नाम पर

अपने देश में केंद्र और राज्य सरकारें गरीबों को सहायता पहुंचाने के लिए तमाम कोशिशें करती रहती हैं। कोरोना के बुरे दिनों में भी आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को राहत पहुंचाने के लिए सरकारें प्रयासरत हैं, लेकिन यह खबर शर्मनाक और निंदनीय है कि कुछ समृद्ध लोग राजनेताओं और सरकारी बाबुओं से मिलीभगत करके फर्जी गरीब बनकर लाभार्थियों की राहत सामग्री हड़प रहे हैं। इससे सरकारी खजाने को भी भारी चूना लग रहा है। अगर हमारे देश में फर्जी गरीब बनकर फर्जीवाड़ा यूं ही चलता रहा, तो आने वाले समय में देश की आर्थिक सेहत और बिगड़ जाएगी। इसका नुकसान हरेक तबके को होगा। इसलिए सरकारों को चाहिए कि वे इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए गंभीरता दिखाएं।


नहीं मिल रहा मजदूरों को लाभ

मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना धरातल पर पहुंची तो जरूर लेकिन उसका वास्तविक लाभ मजदूरों को नहीं मिल पा रहा है। कारण गंवई राजनीति के चलते जॉब कार्ड अपात्रों का जारी कर दिया गया है। मजदूरों को जहां तहां जारी भी किया गया है तो गंवई राजनीति हावी होने के चलते मनरेगा का कार्य नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते उन्हें परेशानी हो रही है। कोरोना संक्रमण के दौर से गुजर रहे मजदूर शहरों से पलायन कर गांव पहुंचे पर उन्हें मजदूरी नहीं मिल पा रही है। यह स्थिति कई गांवों में है। शिकायत के बावजूद अधिकारी कुछ नहीं कर रहे हैं। इसकी जांच कराने पर मामला स्पष्ट हो जाएगा।

कोई बुरा ना माने,

मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...