@ Shakti Anand Kanaujiya
यहां साहब की हुकूमत चलती है! नियम, शासनादेश सब बेईमानी है जो साहब ने कह दिया, वही होना है हम बात कर रहे है लोक निर्माण विभाग की। बड़े साहब का फरमान सर आंखो पर, जो कह दिया वह पत्थर की लकीर है। कोई कर्मचारी नेता विरोध करता है तो उसे हिदायत दी जाती है कि ऐसी भूल न करो न तो पश्चाना पड़ेगा। कर्मचारियों की क्या मजाल है कि वह कुछ बोल पायें। विभागीय सूत्रों की मानें तो लोक निर्माण विभाग के बड़े साहब के आगे किसी की नही चलती है। जो विभागीय कार्य होते है वह अपनी इच्छा से करवाते है पता चला है कि साहब की शासन में काफी पकड़ है। सड़के निर्माण कराने का कार्य हो या कोई अन्य, हो ही नही सकता है उसमें गड़बड़ी न हो। एकाध काम छोड़ दिया जाय तो सब में गड़बड़ी है और बड़े पैमाने पर। यह बात तो कर्मचारी यूनियन भी जानते है लेकिन वह अपनी पेट पर लात क्यों मारेंगे क्योंकि साहब से कह कर कई काम कराते है कुछ नेता विरोध करते भी है तो वह हिदायत पा जाते है और उनके लिए इतना काफी है। बताया जाता है कि साहब बड़े-बड़े घोटाले किए है और उसे पचा भी गये है उनकी पचाने की क्षमता काफी है। किसी में जांच आ भी गयी तो कौन जांच करेगा। शासन में कुछ ले देकर वह मामला सब फिट कर देंगे। उनसे उलझने की हिम्मत कोई नही करता है। कुछ कर्मचारी भी इसी में हाथ सेक लेते है यदि कुछ चर्चित अधिकारी, कर्मचारी की आय से अधिक सम्पत्ति की जांच करा दी जाय तो मामला आईने की तरह साफ हो जाएगा और सच जनता के सामने आ जायेगा। ऐसे में लोक निर्माण विभाग का भगवान ही मालिक है।http://shakti-anand.blogspot.com