कोविड़–१९ के प्रकोप का दौर अभी भी जारी ही रहेगा क्योंकि वायरस किसी भी ढंग से कम नहीं हो रहा है। समूचे विश्व में तमाम कोशिशों के बावजूद कोरोना संक्रमितों के आकड़ों में कमी नहीं आ रही है। लेकिन यह जरूर है कि देश भर में मृत्यु दर में गिरावट आई है। परंतु इसे फिर भी इत्मिनान लायक नहीं माना जा सकता‚ बल्कि जान का जोखिम तो अभी भी बना हुआ ही है। हमें अभी और एहतियात बरतने की भी आवश्यकता है॥
शुक्रवार, 31 जुलाई 2020
मनरेगा मजदूरी कम
आधार के आने से मनरेगा भुगतान में फायदा देखने को मिला है लेकिन फिर भी कुछ समस्या है जो समझाने की जरूरत है। धीरे से मुआवजे का भुगतान करने से बचने के लिए प्रणाली विकसित हो क्योंकि मजदूरी के भुगतान में देरी जानबूझकर दबा दी जाती है। अठारह राज्यों में मनरेगा मजदूरी दरों से कम रखी गई है। काम की बढ़ती मांग के कारण योजना धन से बाहर चल रही है। कई राज्यों में सूखे और बाढ़ के कारण काम की मांग बढ़ गई है। राज्यों में मनरेगा मजदूरी में डाटा की असमानता है। मजदूरी इस समय लगभग सभी राज्यों में मनरेगा मजदूरी से अधिक है। मनरेगा को सरकार की अन्य योजनाओं के साथ जोड़ा जाना चाहिए। जैसे कि ग्रीन इंडिया पहल‚ स्वच्छ भारत अभियान आदि।
चुनाव और वह भी चीन में!
आगामी ६ सितम्बर को हांगकांग की ७० सदस्यों वाली विधान परिषद् का चुनाव होना निश्चित है। मगर इस बार का मंजर बिल्कुल अलग होने वाला है। जैसा कि डर था वैसा ही हुआ। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अस्तित्व में आने के कारण अब चुनाव केवल नाम का रह जाएगा क्योंकि नामांकन के दौरान ही १२ संभावित प्रत्याशियों‚ जो लोकतंत्र के समर्थक थे‚ को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया गया। पिछले साल जिला परिषद चुनावों में लोकतंत्र समर्थकों को जोरदार जीत हासिल हुई थी। लगता है कि वो सब इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा क्योंकि साम्यवादी चीन में चुनाव नहीं‚ केवल चयन होता है॥
शिक्षा नीति को लेकर सवाल
मोदी सरकार ने देश की शिक्षा नीति में लगभग ३४ वर्ष बाद जो भारी और अच्छा बदलाव किया है‚ उस पर सभी के अपने–अपने विचार हो सकते हैं। स्वामी विवेकानंद ऐसी शिक्षा चाहते थे जिससे बालक का सवाÈगीण विकास हो सके। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस नीति से गरीब से गरीब लोगों के बच्चे भी डॉक्टर‚ इंजीनियर बन पाएंगेॽ क्योंकि इन विषयों की पढ़ाई के लिए लोगों को भारी खर्चा करना पड़ता है। क्या देश का हर गरीब बच्चा स्कूल जा पाएगा या फिर आधुनिक तकनीक से पढ़ाई कर पाएगाॽ क्या सरकारी स्कूलों में अध्यापकों और आधुनिक पढ़ाई के साधनों की जो कमी है‚ उसे समय पर पूरा किया जा सकेगाॽ क्या जातिगत आरक्षण इस नई शिक्षा के रास्ते में बाधा तो नहीं बनेगाॽ॥
सोमवार, 27 जुलाई 2020
कड़़ी कार्रवाई जरूरी
दिल्ली हमेशा ही चर्चा में रहती है। प्रत्येक वर्ष कुछ महीने के लिए दिल्ली में प्रदूषण काफी ज्यादा होता है। इसी के कारण कूड़़ा जलाने पर भी प्रतिबंध है। इसके बावजूद खुलेआम नशीले पदार्थों की बिक्री होती है। १८ वर्ष से कम आयु के लोगों को इसके इस्तेमाल के लिए मनाही है‚ लेकिन सिर्फ कागजों पर। जब भी प्रतिबंध लगाया जाता है तो कुछ दिनों तक सख्ती देखने को मिलती है। बाद में सब साधारण हो जाता है। सरकार की जिम्मेदारी है कि ऐसे नियमों को लाने के बाद सख्ती से पालन भी कराएं और नियमों के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई भी हो‚ तभी इनसे निजात पाया जा सकता है।
जनता से संवाद
कल ‘मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस के प्रति देश की जनता को आगाह किया। उन्होंने कहा कि खतरा अभी भी टला नहीं है; इसलिए मास्क पहनना और दो गज की दूरी बनाए रखना जरूरी है। संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने मास्क पहनने से होने वाली परेशानियों का भी जिक्र किया। वहीं उन्होंने डॉक्टर और नर्स का उदाहरण देते हुए कहा वह हमारी सेवा करने के लिए घंटों मास्क पहने रहते हैं तो क्या आप मास्क नहीं पहन सकते हैंॽ सावधानी और सतर्कता अभी भी उतनी ही जरूरी है जितनी कि पहले थी। संबोधन के दौरान मोदी ने कोरोना से रिकवरी रेट और कम मृत्यु दर का भी जिक्र किया।
भविष्य का सवाल है
कोरोना के बढ़ते रफ्तार को देखते हुए परीक्षा का विरोध व्यवहारिक एवं जायज भी है‚ लेकिन गंभीर मसला यह है कि परीक्षा न कराने की स्थिति में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पास विकल्प क्या हैॽ बड़े स्तर पर मास प्रमोशन भी छात्रों के हितों में नहीं है। अगर उनको प्रोन्नत कर दिया जाता है तो फिर कोरोना काल की समाप्ति के बाद उनकी डिग्री को संदेह की oष्टि से निजी कंपनियां देखेंगी। गांव–देहात में नेट कनेक्टिविटी के जर्जर हालात को देखते हुए ऑनलाइन परीक्षा कराने की बात सोचना भी न्यायसंगत नहीं है। ऐसे में मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को मिल–बैठकर बीच का कोई रास्ता निकालना चाहिए‚ जिससे छात्रों का भविष्य दांव पर न लगे। इस मसले पर तत्काल निर्णय लिया जाए॥
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