कभी ख्वाबो में तुम्हे तराशा,
तो कभी ख्यालो में सज़दा किया,
तुम्हारा रूप कभी चांदनी बनकर बिखरा,
तो कभी शबनम बनकर,
इस दिल में तुम्हारी अदाए ही क्या कम थी,
जो क़यामत ढ़ाने के लिए तुमने मुझे छुकर कहा
कि तुम मुझसे नफरत करती हो
-शक्ति आनंद
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