बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

रफ़्तार कुछ इस कदर तेज़ है जिन्दगी की​ कि सुबह का दर्द शाम को, पुराना हो जाता है​ ....

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October 12, 2016 at 06:36PM
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