रविवार, 7 जून 2015

हकीकत से दूर हैं सरकारी आंकड़े!



सोनभद्र में जनहित में चलायी जा रही तमाम योजनाओं का लाभ जनता तक नहीं पहुंच रहा है। आला अफसर इन योजनाओं को इस तरह क्रियान्वयित करते है जिससे जनता को योजना का लाभ मिले या न मिले। लेकिन उनकी जेबें गर्म हो जाय। मजेदार बात यह हैं कि इन योजनाओं को सरकारी आंकड़ों में दुरुस्त दिखाया जाता है। योजनाओं का लाभ जरुरत मंदों तक कितना पहुंच रहा है यह किसी से छिपा नहीं है। रोजाना पात्र व्यक्ति विभाग का चक्कर लगा कर चले जाते हैं उनकी कहीं सुनवायी नहीं होती है। साहब से मिलने की बात ही दूर है कर्मचारी है उन्हें डांट कर भगा देते है। ऐसे में वह कहां जाय उन्हें समझ में नहीं आता है। वहीं साहब कागजों में योजनाओं का क्रियान्वयन बेहत्तर दिखाते हैं और आंकड़ों में भी कही कमी नहीं रखते है। सरकारी कागजो में सब कुछ दुरुस्त रहता है लेकिन जमीनी हकीकत तलाशी जाय तो बहुत गड़बड़झाला दिखायी देगा। ऐसे में सरकार को ही इस तरफ कोई ठोस कदम उठाना होगा।

शनिवार, 6 जून 2015

आज हथियारों से नहीं बल्कि विचारों की लड़ाई

आज हथियारों से नहीं बल्कि विचारों की लड़ाई का युग है और मैं वैचारिक स्तर के इस युद्ध में हारने की आदत नहीं रखना चाहता .........!!

सुना है मैगी मे थोडा रासायन बढ गया, इसलिए उस पर बैन लगेगा....

सुना है मैगी मे थोडा रासायन बढ गया, इसलिए उस पर बैन लगेगा....
Shakti Anand Kanaujiya
तम्बाकू, सिगरेट और शराब मे सरकार को, उम्र बढाने के कौन से विटामिन, प्रोटीन दिखे जिनके लाईसेन्स वो रोज जारी कर रही है...??

शुक्रवार, 29 मई 2015

विचार - 29 मई, 2015

अजीब सी कशमकश है जिंदगी में,
जितना दौडता हु, 
मंजिल और दूर चली जाती है,
शायद.....................................
संघर्ष जिंदगी के साथ ही ख़त्म होता है

देर से ही सही पर आ गया स्वदेशी पेमेंट गेटवे

देर से ही सही पर आ गया स्वदेशी पेमेंट गेटवे

वीसा और मास्टर कार्ड की तरह काम करने वाला रुपे कार्ड पहला देसी कार्ड है. इस व्यवस्था की शुरुआत के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास खुद का पेमेंट गेटवे है. क्या इसको वह बुलंदी मिल पायेगी जो वीसा और मास्टर कार्ड को प्राप्त है. स्वदेशी पेमेंट गेटवे होने से रुपये की लागत इंटरनेशनल कार्ड की तुलना में काफी कम है. इस कार्ड से होने वाले लेन-देन पर बैंकों को इंटरनेशनल कार्ड के मुकाबले 40 फीसदी कम अदायगी करनी होती है. और उपभोक्ता को भी कम शुल्क देना पड़ेगा.

भारत में भूखों की संख्या दुनिया में सबसे ज़्यादा


भारत में भूखों की संख्या दुनिया में सबसे ज़्यादा

भूखे लोगों की तादाद भारत में विश्व में सबसे ज़्यादा है. संयुक्त राष्ट्र की संस्था के अनुसार भारत में 19.40 करोड़ भूखे लोग हैं. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक़, 1990 में भारत में भूखों की संख्या 21 करोड़ 10 लाख थी. रिपोर्ट में कहा गया है, “पूरी आबादी के मुक़ाबले भूखे लोगों की तादाद में कमी लाने की दिशा में भारत ने बहुत अच्छा काम किया है. उम्मीद की जाती है कि भारत में चल रहे सामाजिक कार्यक्रम ग़रीबी और भूख के ख़िलाफ़ संघर्ष जारी रखेंगे.”

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

नफरत

कभी ख्वाबो में तुम्हे तराशा, 
तो कभी ख्यालो में सज़दा किया,
तुम्हारा रूप कभी चांदनी बनकर बिखरा,
तो कभी शबनम  बनकर,
इस दिल में तुम्हारी अदाए ही क्या कम थी,
जो क़यामत ढ़ाने के लिए तुमने मुझे छुकर कहा 
कि तुम मुझसे नफरत करती हो 
-शक्ति आनंद 

कोई बुरा ना माने,

मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...