मंगलवार, 9 जून 2020

पैर पसारती भुखमरी

कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण विश्व स्तर पर भुखमरी का खतरा बढ़ गया है। सीएसई की रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक स्तर पर गरीबी की दर गत 22 वर्षों में पहली बार बढ़ी है। विश्व की 50 फीसदी आबादी लॉकडाउन में है, जिनकी आय या तो बहुत कम है या उनके पास आय के साधन खत्म हो गए हैं। दुनिया के छह करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जाने वाले हैं। भारत में भी 1.20 करोड़ लोग भुखमरी या गरीबी की स्थिति में आ सकते हैं। विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक की मानें, तो दुनिया में हर रात 82.10 करोड़ लोग भूखे पेट सोते हैं। अभी दुनिया के 13़.50 करोड़ लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं। साफ है, यदि सरकारों ने भुखमरी और गरीबी के खात्मे की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया, तो यह स्थिति और भयावह हो जाएगी। इससे बचने के लिए एक समग्र नीति बननी चाहिए।

आत्मनिर्भरता की ओर

लद्दाख में चीन की सेना द्वारा किए गए सीमा-उल्लंघन पर भारतीय आक्रोशित हैं। चीन को सबक सिखाने के लिए उपाय सुझाए जा रहे हैं। उसे आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने की बात हो रही है। कहा जा रहा है कि भारत की जीवन-चर्या का अंग बन चुके चीनी सामानों का बहिष्कार किया जाए। सच भी है कि द्विपक्षीय रिश्तों में भारत निर्यात के मुकाबले चीन से तीन गुना अधिक सामान आयात करता है। जनसंख्या की दृष्टि से सभी के लिए रोटी, कपड़ा और मकान जुटाने के संदर्भ में भी भारत में आत्मनिर्भरता का अभाव जग जाहिर है। यही नहीं, चीन के सामान की तुलना में भारतीय सामान का महंगा होना भी चीनी सामान के व्यापक उपयोग का बड़ा आधार है। मगर भारत में कौशल की कमी नहीं है। यदि भारत अपनी जनसंख्या को नियंत्रित करके इस कौशल का सदुपयोग करे, तो किसी अन्य देश से उसे उपभोक्ता वस्तुओं के आयात की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी और जीवन के लिए उपयोगी तमाम क्षेत्रों में हमारी आत्मनिर्भरता को दुनिया का कोई देश रोक नहीं सकेगा।

एक गुजारिश

दक्षिण दिल्ली नगर निगम ने इस वर्ष प्रॉपर्टी टैक्स सिर्फ ऑनलाइन जमा करने की बात की है, जबकि इसका सॉफ्टवेयर एकदम निम्न स्तरीय है। कई-कई दिनों तक मोबाइल पर ओटीपी ही नहीं आता, जिसके बिना आगे कोई काम नहीं कर सकते। बैंक के खाते से राशि ज्यादा कटती है, लेकिन निगम के खाते में कम दिखाई देती है। इससे सब परेशान हैं, विशेषकर वरिष्ठ नागरिक। नगर निगम को चाहिए कि जब तक इनका सॉफ्टवेयर ग्राहक के अनुकूल नहीं हो जाता है, तब तक चेक द्वारा ही वह भुगतान स्वीकारे। आखिर बैंक भी तो रोज लाखों चेक ले-दे रहे हैं।

हताश होते बेरोजगार

जहां एक तरफ केंद्र सरकार देश के नौजवानों को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे रही है, तो वहीं कुछ युवा नौकरी जाने के तनाव में आत्महत्या कर रहे हैं। प्रवासी मजदूरों की पीड़ा भी किसी से छिपी नहीं है। एक नए अध्ययन के मुताबिक, करीब ढाई करोड़ नौजवान अपनी नौकरी गंवा चुके हैं। इनके लिए रोजगार के अवसर जुटाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। फिर भी, बेरोजगार हुए नौजवानों का आत्मविश्वास टूटने न पाए। यदि देश के युवाओं पर ही इस तरह की त्रासदी आएगी, तो देश का भविष्य क्या होगा? इस विपदा की घड़ी में जरूरत है युवाओं को उनकी शक्ति और योग्यता का स्मरण करा सकने वाले जामवंतों की, जो उन्हें आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सही राह दिखा सकें। सरकार युवाओं को इसके लिए प्रेरित करे और उन्हें सही राह दिखाए।

एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री कितनी बदल जाएगी

ना सितारों का जमघट ना फैन्स की भीड़ क्या आपने सोचा है कि सोशल डिस्टैंसिंग के इस दौर में एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री कितनी बदल जाएगी. कोरोना वायरस के कारण दुनिया ही बदल रही है तो फिर हॉलीवुड,बॉलीबुड सबको बदलना होगा. पर फ़िल्मों, सितारों और दर्शकों पर इन पाबंदियों का असर न पड़े, इसके लिए सिनेमा जगत ने ख़ास इंतज़ाम करना शुरू कर दिया है.

लॉकडाउन के बाद अब दुनिया

दो महीने से ज़्यादा के लॉकडाउन के बाद अब दुनिया के तमाम देशों में इसे धीरे धीरे हटाया जा रहा है. ऐसे में आपको नहीं लगता कि ये ढाई महीने बड़ी जल्दी बीत गए? हमने सोचा भी नहीं था कि लॉकडाउन का मुश्किल दौर इतनी जल्दी गुज़र जाएगा. हम घर में, पाबंदियों में रहने की आदत ही डाल रहे थे कि इससे रियायतें भी मिलने लगी हैं. आम तौर पर होता यही है कि बुरा वक़्त बिताना मुश्किल होता है. आप ट्रेन या फ्लाइट का इंतज़ार करते हों, तो समय बिताते नहीं बीतता. मगर, किसी प्रिय के साथ हों या किसी पसंदीदा जगह घूमने जाते हों, तो समय मानो फुर्र से उड़ जाता है. ऐसे में लॉकडाउन का वक़्त, जिसे ज़्यादातर लोगों ने बुरा समय ही माना था, वो इतनी जल्दी कैसे गुज़र गया? असल में हम समय के गुज़रने का आकलन दो तरह से करते हैं. पहला तो ये कि अभी समय कितनी जल्दी बीत रहा है? और, पिछला हफ़्ता या पिछला दशक कैसे बीता था?

गर्भवती गाय का विस्फोटक पदार्थ खाने का मामला

हिमाचल प्रदेश में एक गर्भवती गाय का विस्फोटक पदार्थ खाने का मामला सामने आया है. इस मामले में एक शख़्स को गिरफ़्तार किया गया है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, यह मामला बिलासपुर ज़िले में झंडूता थाना क्षेत्र में पड़ने वाले डाढ गांव का है. इस गांव के निवासी गुरदयाल सिंह ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनकी गाय को विस्फोटक खिलाया गया है जिससे उसे शारीरिक चोट आई है. एएनआई के मुताबिक़, बिलासपुर के पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि जिस वक़्त यह घटना हुई उस समय गाय गर्भवती थी. विस्फोटक की वजह से गाय के जबड़े का ऊपरी और निचला हिस्सा बुरी तरह ज़ख्मी हो गया.

कोई बुरा ना माने,

मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...