चीन से जिस तरह का अंदेशा था, आखिर उसने वही विश्वासघात किया। भारतीय सैनिकों के शहीद होने की खबर से पूरा देश शोकाकुल है। भारत इसका बदला जरूर लेगा, लेकिन पीठ पीछे वार करके नहीं। इस हमले में चीन की कायरता ही नजर आई। इसलिए अब हमें अपनी चीन-नीति बदल लेनी चाहिए। हमें अब मान लेना चाहिए ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई' कभी नहीं हो सकते। अब चीन से सभी तरह के राजनीतिक, आर्थिक, अंतरराष्ट्रीय और सैन्य समीकरण बदल जाने चाहिए। चीन को अलग-थलग करने की लड़ाई अब प्रमुखता से लड़ने की जरूरत है। भारत के लिए यह माकूल समय है, जब लगभग आधी दुनिया चीन के खिलाफ है। अब भारत सन 1962 वाला नहीं रहा। चीन को मजबूत जवाब दिया जाना चाहिए।
बुधवार, 17 जून 2020
खान-पान पर भी बरतें सावधानियां
कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए हर व्यक्ति को खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बाहर की वस्तु का सेवन कदापि न करें और बच्चों को भी दुकानों के खुले सामान आइसक्रीम, कोल्डिंक्स इत्यादि का सेवन कतई न करने दें। घर में भी फ्रिज का बहुत ठंडा पानी व अधिक मसाला का सेवन न करें। कोरोना वायरस के साथ ही भीषण गर्मी का प्रभाव भी व्यक्ति के ऊपर पड़ता है, जिससे तरह-तरह की बीमारियां पांव पसारने लगती हैं। बाहरी सामानों के सेवन से संक्रमण का खतरा हर पल बना रहता है। इस नाते संकट के इस दौर में भरसक प्रयास करें कि बाहर के सामानों का सेवन न करना पड़े, जिससे संक्रमण को रोका जा सके।
अनलॉक में खुद पर नियंत्रण जरूरी
जनपद में तेजी से कोरोना संक्रमित लोगों का तादात बढ़ रहा है। बाहर से असुरक्षित तरीके से यात्र कर आए श्रमिकों से संक्रमण बढ़ गया है। अभी भी बड़ी संख्या में प्रवासी लोग अपने-अपने घरों में छिपे पड़े हैं। उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए खुद ही अपने को क्वारंटीन होना चाहिए। अपने परिजनों की भलाई के लिए सभी आगंतुक प्रवासी लोगों को प्रशासनिक और चिकित्सीय सलाह को मानते हुए स्वयं शारीरिक दूरी बनाकर सुरक्षित रहना चाहिए। जरा भी खांसी, बुखार व कोई कोरोना का लक्षण दिखे तुरंत डॉक्टर को फोन कर बुलाये। अनलॉक का मतलब कोरोना का समाप्ति नहीं है अभी और ज्यादा सावधानी पूर्वक रहने की जरूरत है। घर के बच्चों और बुजुर्गों सहित बीमार लोगों का विशेष ख्याल रखना बहुत जरूरी है।
बढ़ती परेशानियां
फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या ने देश में नई बहस छेड़ दी है। यह बताता है कि देश में तनाव और अवसाद के चलते आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे मामलों में नौजवान तुलनात्मक रूप से अधिक दिख रहे हैं, जो देश और समाज के लिए गंभीर संकेत है। आज अवसाद और तनाव की समस्या इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि शायद ही कोई इससे अछूता है। सेलिब्रिटी इससे ज्यादा पीड़ित हैं, क्योंकि उन पर पूरे देश और समाज की नजर होती है। परेशानी की बड़ी बात यह है कि लोग इस समस्या पर अपनों से भी खुलकर बातें नहीं करते। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि आज भी हमारे देश में शिक्षा की कमी है। घर, स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, कहीं पर भी अवसाद या हताशा पर चर्चा नहीं होती, इसे अनसुना कर दिया जाता है। इसी के कारण पीड़ित अपनी समस्या पर बात नहीं कर पाता औरवह अंदर-अंदर घुटता रहता है, और अंत में आत्महत्या की राह चुन लेता है। इस समस्या पर वक्त रहते ध्यान देना होगा।
पीठ पर वार
किसी मुल्क का क्षेत्रफल उसके साहस का परिचायक नहीं होता। अगर होता तो चीन जैसा देश पेट्रोलिंग पर भारतीय सेना द्वारा लौटाए जाने पर यूं छुपकर रॉड–पत्थर व कंटीले तारों से पीठ पर वार नहीं करता। चीन हमेशा से हमारी पीठ पर खंजर घोपता आया है। चाहे वो १९६२ का युद्ध ही क्यों न हो। डोकलाम में भारत ने उसे जिस कूटनीति से हराया था शायद वो उसे दोबारा दोहरा कर खुद को विश्व पटल पर किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं दिखना चाहता है। इसीलिए बातचीत के बीच भी वो इस तरह की झड़प कर भारत को डराना चाहता है। आज हर भारतीय को ५६ इंच के साथ अपनी सेना के साथ खड़ा होना है।
आत्महत्या से सभी आहत
बिहार के छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखने वाले एक आम इंसान ने चांद को छू लेने जैसे सपने देखे। उसे पूरा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। इंजीनियरिंग की पढ़ाई से लेकर महज 34 वर्ष की उम्र में भारतीय फिल्म जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई और कामयाबी की बुलंदियों की ओर धीरे-धीरे बढ़ते हुए ऊंचाई पाई। यह सुशांत सिंह राजपूत की कठिन परिश्रम का नतीजा था। अचानक उनकी खुदकुशी की खबर ने सभी को चकित कर दिया। यह आत्महत्या की खबर तथाकथित समाज विकास की विडंबनापूर्ण एवं त्रसद तस्वीर को बयां करती है। इस तरह आत्महत्या करना जीवन से पलायन का डरावना सत्य है। संपूर्ण मानवता इनके इस कदम से आहत है।
चीन को जवाब जरूरी
अच्छे पडोसी एक दूसरे के काम आते हैं‚ जिसमें उनकी भलाई है। मगर पडोसी देश पाकिस्तान‚ चीन के बाद अब पिद्दी सा देश नेपाल भी भारत के क्षेत्र को अपने नक्शे में दिखाकर आंख दिखा रहा है‚ जो बड़े आश्चर्य की बात है। इससे यह साफ है कि पाकिस्तान और नेपाल ये हरकतें सिर्फ चीन के इशारे पर ही कर रहे हैं वरना तो इनकी औकात ही क्या है। सबसे पहले तो चीन से ही अब दो हाथ करने होंगे। इसके बाद इन दूसरों की तो कोई हिम्मत ही न होगी। देश आज शक्ति और संसाधनों से किसी से पीछे नहीं है। ऐसे में अच्छी‚ ठोस और सही नीति तथा नीयत से आगे बढ़ना जरूरी है।
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