किसी मुल्क का क्षेत्रफल उसके साहस का परिचायक नहीं होता। अगर होता तो चीन जैसा देश पेट्रोलिंग पर भारतीय सेना द्वारा लौटाए जाने पर यूं छुपकर रॉड–पत्थर व कंटीले तारों से पीठ पर वार नहीं करता। चीन हमेशा से हमारी पीठ पर खंजर घोपता आया है। चाहे वो १९६२ का युद्ध ही क्यों न हो। डोकलाम में भारत ने उसे जिस कूटनीति से हराया था शायद वो उसे दोबारा दोहरा कर खुद को विश्व पटल पर किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं दिखना चाहता है। इसीलिए बातचीत के बीच भी वो इस तरह की झड़प कर भारत को डराना चाहता है। आज हर भारतीय को ५६ इंच के साथ अपनी सेना के साथ खड़ा होना है।
बुधवार, 17 जून 2020
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