दो देशों के बीच में समझौते तभी सफल होते हैं जब दोनों उसका पालन करें। अगर एक भी देश इसका पालन नहीं करता है तो संधि का मकसद बेकार हो जाता है। यही समस्या भारत-चीन की सीमा पर है। एक दूसरे पर हथियार से हमला नहीं करने व सीमित संख्या में ही सैन्य बल तैनात करने की संधि के बावजूद चीन इसका उल्लंघन कर रहा है। इसका नतीजा खूनी संघर्ष के रूप में सामने आया। चीन अभी भी भारत की गलवन घाटी में तनाव पैदा करने में लगा हुआ है और अपनी गलती को नहीं मान रहा है। उसकी नीयत में खोट है। वह कभी भरोसे का देश नहीं रहा है। उसके साथ किसी भी तरह की वार्ता में बहुत सावधानी की जरूरत है।
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