राबर्टसगंज से 25 कि0 मी0 दक्षिण चोपन से 7 कि0 मी0 पश्चिम स्थित यह किला तीन नदियों रेणु विजूल तथा सोन के बीच स्थित है । इस किले में कहावत के अनुसार बहुत सम्पदा है एवं यह भी तिलस्मी किला है । मोलागत राजा से लोरिक का युध्द यंही पर हुआ था । इस किले में देवी दुर्गा की कलात्मक मूर्ति आंगन के द्वार पर है । यंहा पर एक कुंआ है जो बहुत गहरा है सोन नदी से इसका सन्बंध बताया जाता है । आगे राजा की कचहरी है फिर परकोटा है जंहा से दरवाजा है । नीचे एक बड़ा हाल है जंहा हजारो लोग निवास कर सकते हैं । यंहा भी दुर्गा जी की एक कलात्मक मूर्ति स्थापित है । यंहा पर देवी की पूजा करने लोग दूर दूर से आतें हैं । दुर्ग को चारो ओर से नाले तथा खाई से सुरक्षित किया गया है । इस दुर्ग पर खरवारों का अधिपत्य था जिसे बाद में चंदेलों ने अपने अधीन कर लिया था । दुर्ग से निकलने पर एक गेरूआ पहाड़ दिखता है लोग कहते हैं कि इस पहाड़ पर लाखों वीरों की तलवार की धार उतारी गई थी । सोननदी की धारा में एक हाथी की शक्ल का पत्थर है इसे लोग मोलागत राजा का कर्मामेल हाथी बताते है जो लोरिक द्वारा मारा गया था। इस दुर्ग तक चोपन से नाव द्वारा पहुंचा जा सकता है।
बुधवार, 24 जून 2020
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