चुनौतियां आती ही हैं परीक्षा लेने के लिए। क्षमता का आकलन करने के लिए। कौन कितने पानी में है इसकी थाह के लिए। अब वो समय आ गया है जब भारत को अपनी ताकत का अहसास कराना होगा। विश्व पटल पर अपनी छाप दिखाने के लिए चीन को मुंहतोड़ जवाब देना ही होगा। 20 के बदले 20 को जब तक मौत के घाट नहीं उतारा जाएगा जबतक जवानों के बलिदान के साथ न्याय नहीं होगा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने संबंधों को भी तरजीह देने की जरूरत है। एक ऐसी रणनीति तैयार करने की जरूरत है जिसमें चीन सैन्य स्तर से तो झुके ही राजनयिक स्तर पर भी उसे यह लगना चाहिए कि अब भारत से मुकाबला आसान नहीं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो देश को जवाब देना मुश्किल होगा। सत्ता पक्ष की असली घड़ी का समय है। हां, एक बात और है। स्थितियां जितनी विपरीत होंगी मुकाबला उतना ही रोचक होगा। देश का बच्चा-बच्चा प्रधानमंत्री के साथ है।
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