कोरोना संकट और चीन-सीमा विवाद के बीच पेट्रोल-डीजल के दाम लगभग पांच रुपये प्रति लीटर बढ़ चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कम हुई कीमतों का कोई लाभ शायद ही भारतीयों को मिल पाया। कारण स्पष्ट है कि जन-हितकारी सरकार आम आदमी को होने वाले लाभ को अपनी कमाई में जोड़कर अपना गणित सुधारने में जुटी रही। आम आदमी के बिगड़े हुए गणित से जैसे उसे कोई सरोकार न हो। पेट्रोलियम पदार्थों पर मनमानी नीतियां लागू करके सरकार जनमानस को क्या संदेश देना चाहती है, यह तो वही जाने, पर आम आदमी के लिए ऐसी नीतियां कष्टकारी सिद्ध हो रही हैं, जिसका एहसास सरकार को होना ही चाहिए।
शुक्रवार, 19 जून 2020
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई बुरा ना माने,
मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...
-
हिमाचल प्रदेश में एक गर्भवती गाय का विस्फोटक पदार्थ खाने का मामला सामने आया है. इस मामले में एक शख़्स को गिरफ़्तार किया गया है. समाचार एजेंस...
-
अभिभावक बच्चों पर उम्मीदों का बोझ लाद देते हैं जबकि बच्चों को अपने सपने पूरे करने देना चाहिए। अब बच्चों को लेकर माता-पिता में संजीदगी कम ...
-
@ Shakti Anand Kanaujiya जी हां ! उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बोगस कार्डधारकों की भरमार हैं। मजेदार बात यह है कि इसकी खबर शासन, ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें