आधुनिक परिवेश में सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने का यदि कोई कार्य कर रहा है तो वह कलाकार ही हैं। मनुष्य को मनुष्यता का पाठ पढ़ाने वाली शिक्षा‚ जिसमें त्याग‚ बलिदान और अनुशासन के आदर्श निहित हैं‚ यदि कहीं संरक्षित है तो वह मात्र लोक कलाओं में ही है‚ लेकिन कोरोना महामारी के कारण देश भर में कला क्षेत्र के लोग रोजी–रोटी के लिए तरस गए हैं‚ इसके पीछे बड़ा कारण है कि दुनिया भर के लोगों को अपनी कलाओं से जगरूक करने वाले लोग अपने अधिकारों के लिए आगे नहीं आए। सरकारों ने जिस तरह से घर लौटे लोगों को रोजगार देने की मुहिम छेड़ी है‚ उसी तर्ज पर लोक कलाकारों के लिए विशेष नीति बनाकर उन्हें कुछ आÌथक सहायता उपलब्ध करवाकर उनके तनाव को कम करने की जरूरत है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई बुरा ना माने,
मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...
-
हिमाचल प्रदेश में एक गर्भवती गाय का विस्फोटक पदार्थ खाने का मामला सामने आया है. इस मामले में एक शख़्स को गिरफ़्तार किया गया है. समाचार एजेंस...
-
अभिभावक बच्चों पर उम्मीदों का बोझ लाद देते हैं जबकि बच्चों को अपने सपने पूरे करने देना चाहिए। अब बच्चों को लेकर माता-पिता में संजीदगी कम ...
-
@ Shakti Anand Kanaujiya जी हां ! उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बोगस कार्डधारकों की भरमार हैं। मजेदार बात यह है कि इसकी खबर शासन, ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें