वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से लगभग तीन महीने की देशबंदी के कारण कई क्षेत्रों पर बहुत बुरा असर पड़ा है। इनमें से एक निजी क्षेत्र के शिक्षक भी हैं। लॉकडाउन में स्कूल तो बंद हुए ही, सरकार ने दिशा-निर्देश जारी करके बताया कि बच्चों की फीस के लिए अभिभावकों को परेशान नहीं किया जाएगा। इस बात का समर्थन पूरा देश कर रहा है कि लॉकडाउन के दौरान अभिभावकों पर फीस का दबाव डालना गलत है। मगर इस बात से भी इनकार करना मुश्किल है कि जो शिक्षक दूसरे बच्चों के जीवन को संवारने के लिए अपनी जान लगा देते हैं, आज उनका जीवन अंधकारमय होने लगा है। उन्हें देखने वाला कोई नहीं है। हमारे समाज और सरकार, दोनों को निजी शिक्षकों की परेशानियों की ओर ध्यान देना चाहिए।
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