देश की आजादी के कुछ ही वर्षो बाद चीन ने अपनी हरकतों से बता दिया कि उसके साथ संबंध तो रहेंगे लेकिन विश्वास नहीं। पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने दुनिया के विशाल दो देशों के बीच मधुर संबंध विकसित करने की योजना बनाई थी। इसके लिए नारा भी दिया। चीन ने बहुत जल्द 1962 में झटका दिया। उसके बाद से तो स्थितियां बदल ही गईं। हालांकि आर्थिक मोर्चे पर देश की नीतियां बहुत ज्यादा ढुलमुल रही हैं। आज देश में चीन के सामानों का जबर्दस्त फैलाव है। इसके चलते देसी उत्पादन प्रभावित हुआ। कई कंपनियां खत्म हो गईं। उत्पादन खर्च कम करके वस्तुओं के दामों में कमी करने के फामरूले के साथ चीनी उत्पाद ने भारतीयों के बीच अपनी पैठ बनाई। अब इसे तोड़ने का समय आ गया है।
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