जिस प्रकार बॉर्डर पर चीन ने वार्ता की आड़ में भारत के पीठ में छुरा घोप कर हमारे 20 सैनिकों की जान ली है, उससे सिद्ध होता है कि वह सभ्यता की भाषा नहीं जानता। उसके साथ भी शठे शाठ्यम समाचरेत वाला व्यवहार करना होगा। देश भी अब 1962 वाला देश नहीं है। हम उससे लड़ने की पूरी क्षमता रखते हैं। हम सभी चीनी सामानों का सौ फीसदी बहिष्कार करें। यही देशभक्ति है। भारत के सैनिक भी उन्हें भरपूर जवाब दे रहे हैं और यह होना चाहिए। यदि वह शांति की भाषा नहीं समझता है तो यह आत्म सम्मान के लिए जरूरी है।
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