बुधवार, 22 जुलाई 2020

विधायकों की पिंजड़़ाबंदी

जब तक उच्चतम न्यायालय से फैसला नहीं आ जाता है‚ तब तक राजस्थान की जनता को देखने वाला कोई नहीं है। विधायकों का यह आचरण लोकतंत्र की मर्यादा के विरुûद्ध है। उच्च न्यायालय में चल रही सुनवाई के दौरान भी विधायकों को जनता के बीच रहना चाहिए। जिस तरीके से लोग जानवरों को पिंजड़े में कैद कर रखते हैं‚ उसी तरह अशोक गहलोत और सचिन पायलट अपने–अपने समर्थक विधायकों को पिंजड़े में कैद किए हुए हैं। क्या इन नेताओं को अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है‚ या इनकी जान को खतरा हैॽ विधायकों की निष्ठा जनता के प्रति है या बड़े नेताओं के प्रतिॽ जनता को इन सभी सवालों का जवाब जानने का हक है। यह लोकतंत्र के पतन की पराकाष्ठा है। न्यायालय को जनता की खातिर जल्द से जल्द इस मामले में फैसला सुना देना चाहिए॥

न हो अनर्गल शब्दों का प्रयोग

विगत दिनों से राजस्थान में राजनीति के अंतर कलह और दांवपेच जग जाहिर हैं। राजनेताओं के आपसी मतभेदों की चरम सीमा यहां तक पहुंच गई कि निकम्मा‚ नाकारा जैसे शब्द उस माहौल में गूंज रहे हैं। वरिष्ठ नेताओं के आक्रोश भरे मतभेद ओर अंतर कलह की इस प्रतियोगिता में राजनेताओं को यह भी भान नहीं होता कि हम आरोप–प्रत्यारोप में जिन शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं‚ उनका जना धार पर और समाज पर क्या प्रभाव होगा.ॽ कम से कम अशोभनीय और अनर्गल शब्दों का तो ध्यान रखना चाहिए। निकम्मा‚ नाकारा जैसे शब्दों का अगर प्रयोग होगा तो राजनीति के मायने ही बदल जाएंगे॥


फिर लगाएं बंदिशें


सड़कों पर जो स्थिति दिख रही है‚ उससे कहीं नहीं लग रहा है कि हम कोरोना जैसी महामारी के बीच जिंदगी जी रहे हैं। लोग बड़े आराम से घर से बाहर बाजार और अन्य जगहों पर टहल रहे हैं। ऐसे में इस महामारी का प्रकोप बढ़ना निश्चित है। सरकार को चाहिए कि फिर से लंबे समय के लिए बंदिशें लागू कर दे‚ नहीं तो पिछले कुछ समय में की गई सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा॥

सोमवार, 13 जुलाई 2020

पाऊच लॉकड़ाउन में

लॉकड़ाउन जब दो महीने का होता था‚ तब उसे मेगा लॉकडाउन का लॉकडाउन का फैमिली पैक कह सकते थे‚ अब ५५ घंटों के लॉकडाउन‚ ४८ घंटों के लॉकडाउन‚ इन्हें लॉकडाउन का पाऊच वर्जन कहा जा सकता है। अब लॉकडाउन का फैमिली पैक खत्म हो लिया है‚ पाऊच वर्जन चल रहा है। बंगलूर में‚ यूपी में और भी बहुत जगह॥। कोरोना पर खबरें लिखने वाले और पढ़ने वाले दोनों ही बहुत परेशान हो गए हैं कोरोना से। डर का एक मनोविज्ञान यह भी है कि जब डर बहुत ज्यादा फैल जाता है‚ तो एक खास किस्म की निडरता को जन्म देता है–ठीक है‚ होगा जो भी देखा जाएगा। दरअसल‚ इसके सिवाय कोई विकल्प भी नहीं है। क्या कर लेंगे‚ कोरोना आ रहा है‚ कोरोना आ गया है‚ कोरोना आएगा। क्या किया जा सकता है। पाऊच लॉकडाउन को देखिए‚ मेगा लॉकडाउन देख चुके हैं। मैं तो रोज सरकारी बयानों को देखता हूं‚ जिनमें सब कुछ फिट दिखाई देता है। वैसे कोरोना भी सबके लिए एक सा ना होता। बड़ा आदमी कोरोना की गिरफ्त में आता है‚ तो खबरें ये आती हैं‚ फलां जी ने १२ बजे पानी पिया‚ १ बजे सेब खाया‚ २ बजे ये खाया.। आदमी फंसता है‚ तो खबर यह आती है कि सात अस्पतालों में गर्भवती पत्नी लेकर भटकते रहा भट्टालाल कहीं दाखिला ना मिला। ॥ कोरोना टाइप की बीमारियां बड़े आदमियों को ही होनी चाहिए‚ दरअसल वो ही अफोर्ड कर सकते हैं। लॉकडाउन में थ्रोबैक पुरानी फोटू डालते हैं–बीस साल पहले मैं ऐसा था–टाइप। आम आदमी की जिंदगी में बीस साल में फर्क इतना भर आ जाता है कि बीस साल पहले वह बच्चे के स्कूल एडमीशन की लाइन में खड़ा था‚ अब वह कंसेशन रेट पर कराए जा रहे कोरोना टेस्ट की लाइन में लगा हुआ। पुराना नया सब एक सा है‚ बदलता नहीं है। लाइन में हैं जी। लाइन मुक्त होकर फाइव स्टार जीवन के लिए इस मुल्क में या तो परम संपन्न होना पड़ेगा या विधायक‚ जाने कहां कहां के विधायक फाइव स्टार होटलों में जनता की सेवा कर रहे हैं। आप ना विधायक हैं ना संपन्न‚ तो भगवान ना करे कि आपकी ऐसी खबरें आएं–किसी अस्पताल में दाखिला ना मिला।

किस करवट बैठेगाॽ

मार्च महीने में मध्य प्रदेश में ज्योदिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच तनातनी में सरकार चली गई थी। अब ऐसा ही कुछ राजस्थान में हो रहा है। यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच टकराव चरम पर है। क्या कांग्रेस के लिए युवाओं का जज्बा मायने नहीं रखताॽ पायलट ने दावे के साथ कहा कि उनके साथ ३० से ज्यादा नेताओं के समर्थन है। वैसे राजनीतिक दलों में दल–बदल कोई नई बात नहीं है॥

सख्त बने कानून

भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रति वर्ष एक ऑस्ट्रेलिया का निर्माण होता है। जनसंख्या वृद्धि के कारण हमारे देश में तमाम विकास योजनाएं एवं संसाधन बोने सिद्ध हो रहे हैं। शिक्षा‚ स्वास्थ्य‚ आवास‚ रोजगार एवं जीवन स्तर से जुड़ा हर पहलू सीधे तौर पर जनसंख्या वृद्धि से प्रभावित होता है। जनसंख्या पर नियंत्रण के संबंध में हमारा समाज पहले से काफी जागरूक हुआ है। फिर भी अभी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है। सरकार को ‘एक दंपति दो संतान' का कानून संसद से पारित करवाना चाहिए एवं इसे देश के सभी समुदायों पर सख्ती के साथ लागू करना चाहिए॥। 

भारतीय वायुसेना को अमेरिकी एयरोस्पेस कम्पनी ‘बोइंग' से खरीदे गए सभी २२ अपाचे हेलीकॉप्टर मिल गए हैं‚ जिसके साथ वायुसेना की ताकत काफी बढ़ गई है। ढई अरब डॉलर का यह रक्षा सौदा सितम्बर २०१५ में हुआ था। इन हेलीकॉप्टरों की पहली खेप गत वर्ष २७ जुलाई को गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर पहुंची थी‚ जिन्हें पठानकोट एयरबेस पर तैनात कर दिया गया था। बोइंग द्वारा निमत अपाचे दुनिया का सबसे आधुनिक और घातक हेलिकॉप्टर माना जाता है‚ जो ‘लादेन किलर' के नाम से भी विख्यात है। भारत दुनिया का १४वां ऐसा देश है‚ जिसने अपनी सेना के लिए इसका चयन किया है। वर्तमान में चीन के साथ विवाद के दौर में इसकी महkवपूर्ण भूमिका देखी भी गई है। 

कोई बुरा ना माने,

मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...