माँ शब्द ही अपने आप मे महान है, चाहे पषु हो या पछी या मनुश्य बिन माँ के अस्तित्व विहीन है। माँ गर्भ मे जिस प्रकार बच्चे को नौ महीने रख कर उसकी देख-रेख एवं सिंचित करती है और नौ महीने बाद जब पुत्र की प्राप्ति पर खुषी से झूम उठती है, एंव उसे करीब दस वर्शो तक हर बूरी चिजो से बचा जवान होता देख तन ही मन निष्चिन्त हो जाती है, कि बच्चा अब अपनी देख भाल स्वयं कर सकता है। हे मानव ठीक उसी तरह धरती माँ भी अपने इन बच्चो को हरा भरा देख कर खुषी से झूम उठती है, धरती माँ के झूमने पर हमंे सर्द हवाओ एवं बारीष की बूंदो से जिस प्रसन्नता का एहसास होता है,उससे तमाम उपजे भिन्न-भिन्न पौधे एवं जीव-जन्तु को देखने के पष्चात पकृति का बदला सा चेहरा देखने को मिलता है। धरती माँ के पुत्र ’वृक्ष’ के विनाष का कारड हम मनुश्य क्यो बने। माँ जिस प्रकार तुलसी की पूजा जल देकर करती है, ठीक उसी प्रकार दूसरे वृक्षों को भी तज देकर उनकी प्यास क्यो नही बुझाई जाती है। दूसरे वृक्षो के साथ सौतेला व्यवहार क्यो? इन्हे भी जल देकर सिंचित किया जाये एंसी प्रेरणा अब बडे एंव बच्चो को देने की जरुरत है। आज नौकरी का कार्य काल खत्म होने के पष्चात लोग बुढ़ापे की हीनता से ग्रसित स्वयं को महसूस करते है, सोचते है बुढ़पे मे कोई काम-धाम नही है। आप अपने को जवानो से कम ना समझें इस वृक्ष को माध्यम बना कर एक बार युवा वर्ग को सन्देष दें अभी भी युवाओं से ज्यादा जोष है। आप एक वृक्ष को इस धरा पर लगा कर साल भर भी सिंच कर तैयार करते है तो साल भर बाद उस वृक्ष को देखने के पष्चात आप स्वयं महसूस करेंगे कि आप की उम्र एक वर्श बढ़ गई है। इसी तरह आप अगर दस वृक्ष तैयार करते है तो आपको उन विकलांगो, अन्धे व लाचार लोग वृक्ष लगाने मे जो असमर्थ है, उनके आर्षिवाद से आपकी उम्र दस वर्शो की बढ़त स्वयं महसूस होगी। बच्चो आप भी पीछे ना रहे नये-नये दोस्त बनाने का सुनहरा अवसर आपके पास है मान लीजिए आपका पहला दोस्त ’तुलसी’ क्या लडकी है, अच्छा दूसरा दोस्त नीम, पीपल, बरगद, गुल्लर, पकडी जैसे तमाम वृक्षों से आप दोस्ती कर सकते है। इसके अलावा दूसरे दोस्तों का चयन करना है तो आप अपने पापा या चाचा की मदद ले सकते है।