क्राइम कंट्रोल कैसे हो रहा है इसका नजारा जिले के कुछ थानों पर जाकर देखने पर दिख सकता है। शिकायत मिली और पहुंच गये आरोपी के घर और फिर शुरु हो गया अवैध वसूली का अभियान। जब तक इसमें सफलता नही मिलती है तब तक पीड़ित और आरोपी को कानून का भय दिखाया जाता है। जब मिशन अवैध वसूली पूरी हो जाती है तो इसे पुलिसियां भाषा में क्राइम कंट्रोल कहा जाने लगता है। अब आप ही बतायें कि पुलिस अवैध वसूली करेगी तो क्राइम कंट्रोल कैसे होगा। शासन के लाख कवायद के बाद भी पुलिसियां कार्यप्रणाली में कोई सुधार नही है। लगातार हालत बद से बदत्तर होती जा रही है। पीड़ित परेशान होता जा रहा है और अपराधियों का मनोबल लगातार बढ़ता जा रहा है। एक के बाद एक अपराध कर अपराधी यह सोच रहे है कि पुलिस को खर्चा पानी देकर मामला शान्त कर देंगे और कुछ मामलों में ऐसा हो भी रहा है। पीड़ित थानों का चक्कर लगाते-लगाते थक जा रहे है लेकिन उनकी कोई सुनवायी नही हो रही है। जब थानों पर इस तरह का खेल होगा तब पीड़ित कहां जायेंगो। पुलिस उच्चाधिकारियों को इस ओर ठोस कदम उठाना पड़ेगा तभी पीड़ितों को न्याय मिल सकेगा।
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