भारत इस वक्त कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का सामना अपने दृढ़ संकल्प से कर रहा है। पश्चिमी मीडिया और भारत के एक वर्ग के भीतर यह कुंठा साफ महसूस की जा रही है कि भारत में इस महामारी ने अपना प्रचंड प्रकोप क्यों नहीं दिखाया? भारत जैसे देश में इतनी कम मौतें कैसे हुईं? लाखों मौतों की उनकी भयावह गिनती का क्या हुआ? भारत जैसा देश सीमित संसाधनों के साथ इतना अच्छा कैसे कर सकता है? कुछ विपक्षी दल भी कोरोना से लड़ती केंद्र सरकार को सलाह देने के नाम पर जिस तरह नए-नए सवाल खड़े कर रहे हैं, उससे यही लगता है कि उनका इरादा सरकार को कठघरे में खड़ा करना अधिक है, साथ मिलकर इस महामारी से देश को बचाना नहीं। इस समय यह राजनीति दुखद है।
सोमवार, 27 अप्रैल 2020
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