मंगलवार, 14 मार्च 2017

______दिल तोड़ के क्या हासिल हुआ तुम्हें, _ _______मार ही देते तो यू रात के तनहाई में रोना ना पड़ता,,,

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March 14, 2017 at 10:48PM
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परंपराओं की जड़ काटकर पहले नल, फिर नलकूप और अब तो सब्मर्सिबल लगाए जा रहे हैं। सब्मर्सिबल मानों गली-मुहल्ले के भवनों के बाहर टंगी नामपट्टी है

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March 14, 2017 at 04:06PM
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हमसे दूर जाते पानी


हमसे दूर जाते पानी को रोकने के लिये हमें एक बार फिर पीछे लौटना होगा यानी पानी सँजोने की जाँची-परखी परम्पराओं को फिर से जीवित करना होगा। भारत में पानी के प्रबंधन की परम्पराएँ हजारों वर्ष तक व्यवहार में रही हैं। जल समस्याओं के स्थाई हल निकालने होंगे। पानी के विवेकपूर्ण प्रबंधन हेतु संस्थागत बदलाव भी जरूरी है। यह अत्यंत सतर्कता का समय है।

कोई बुरा ना माने,

मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...