कोरोना संकट का यह काल केवल जान की हानि तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे आर्थिक संकट के साथ-साथ कई उद्योग-धंधों और रोजगार का अस्तित्व भी फिलहाल खत्म होता दिख रहा है। नतीजतन, उनमें काम करने वाले मजदूर, कर्मचारी-अधिकारी, सभी एकाएक बेरोजगार हो गए हैं। ऐसे में, उन्हें दूसरी राह तलाशनी पड़ रही है, जिसे खोजना मौजूदा वक्त में काफी मुश्किल भरा काम है। इस बढ़ती बेरोजगारी दर से निपटने के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई है। अभी इसे हकीकत बनने में कुछ वक्त लगेगा, लिहाजा बीपीएल जैसे कार्डधारकों को कुछ न कुछ सरकारी मदद तो मिल ही जाएगी। जिनको कोई राहत नहीं मिलेगी, वे हैं गैर-कार्डधारक। आज जब कई देश अपने बेरोजगार नौजवानों को भत्ता दे रहे हैं, तब हमारे देश में भी बिना भेदभाव और आरक्षण के यह बांटा जाना चाहिए। नौकरी गंवा चुके लोगों को बचाने का इससे बेहतर शायद ही कोई दूसरा उपाय है।
शुक्रवार, 29 मई 2020
बुधवार, 27 मई 2020
स्वास्थ्य मद में बजट बढ़े
वर्तमान महामारी ने हमारी स्वास्थ्य नीति की अक्षमता को उजागर किया है। जहां सरकारी संस्थाएं अपनी पूरी क्षमता से महामारी के खिलाफ लड़ रही हैं, वहीं निजी क्षेत्र भारी-भरकम खर्चों के कारण आम आदमी की पहुंच से लगभग बाहर हो गए हैं। ऐसे में, स्वास्थ्य क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण की मांग स्वाभाविक है। अध्ययन यह भी बताते हैं कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के भारी-भरकम खर्च उठाने के कारण ही प्रतिवर्ष करोड़ों लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। ऐसे में, सरकार द्वारा सभी तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाए बिना गरीबी उन्मूलन के कार्यक्रमों की सफलता संभव नहीं है। दिक्कत यह है कि हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर जीडीपी का महज 1.2 फीसदी खर्च किया जाता है। बेशक, विशाल जनसंख्या और सरकार के सीमित संसाधनों को देखते हुए स्वास्थ्य सेवाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी आवश्यक है, लेकिन सार्वजनिक खर्च में वृद्धि करना सबसे जरूरी है, ताकि सभी लोगों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं मिल सकें।
अव्यवस्था भरी यात्रा
रेल व हवाई यात्राओं के दौरान सामने आ रही अव्यवस्थाओं को देखते हुए भी संबंधित मंत्रियों का ध्यान समस्या के समाधान की तरफ कम है और विरोधियों को नीचा दिखाने में ज्यादा है। जब एक श्रमिक ट्रेन दो दिन की बजाय नौ दिनों में अपने गंतव्य पर पहुंचती है और ऐसी यात्राओं में कई श्रमिक अपनी जान गंवा देते हैं, तो इसको यात्रा नहीं, यातना ही कहा जाएगा। फिर भी मंत्री गण ऐसा भाव बनाते हैं, मानो उनकी सरकार के कारण ही रेल चल रही है, वरना नहीं चलती। लॉक डाउन से पहले जहां हजारों ट्रेनें चलने के बाद भी किसी ट्रेन के अपने गंतव्य से भटकने का समाचार नहीं आया, वहीं अब कई ट्रेनें गलत जगहों पर पहुंच रही हैं। इससे भयानक अराजकता भला और क्या होगी?
बनाना होगा दबाव
पूरे विश्व में चीन अपनी गुप्त रणनीति, गहरी साजिश और योजनाओं के लिए जाना जाता है। कभी वह कोरोना वायरस को एक जैविक हथियार के रूप में प्रयोग करता है, तो कभी सीमा-विवाद को बढ़ाकर पड़ोसी देशों पर दबाव बनाता है। कोरोना आपातकाल के इस दौर में भी वह लद्दाख, नेपाल, ताईवान, हांगकांग या भारत की सीमा में घुसपैठ करके अपना वर्चस्व बनाना चाहता है। वह यह जताना चाहता है कि उसकी सीमाओं का कोई अंत नहीं है। अपनी आर्थिक ताकत बढ़ाने के लिए ही उसने कोरोना वायरस को जन्म दिया, ताकि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं चौपट हो जाएं और उसका साम्राज्य बन जाए। निश्चित रूप से चीन दुनिया के साथ कॉकटेल गेम खेल रहा है, जिसे तभी रोका जा सकता है, जब पूरी दुनिया एकजुट होकर उस पर दबाव बनाएगी। पूरे विश्व को चीन से सजग रहना होगा।
चीन की सीनाजोरी
चीन बदमाशी कर रहा है। पूरी दुनिया को कोरोना संकट में डालने के बाद भी वह आंखें तरेर रहा है। अपने ऊपर लगे आरोपों से वह नाखुश है। चीन के विदेश मंत्री का तो यह भी कहना है कि मुआवजे की मांग करने वाले देश दिवास्वप्न देख रहे हैं, अर्थात चीन का दुस्साहस इस कदर बढ़ गया है कि वह माफी मांगने की बजाय दूसरे देशों को धमका रहा है। सच यही है कि चीन ने कोरोना वायरस के बारे में दुनिया को बताना उचित नहीं समझा, जिसके कारण इसका फैलाव तेजी से हुआ। इसका प्रकोप सबसे ज्यादा अमेरिका में हुआ है, जहां एक लाख से अधिक लोग इसका शिकार बन चुके हैं। फिर भी, चीन की ऐठन कम नहीं हुई है। दुखद यह भी है कि डब्ल्यूएचओ परोक्ष रूप से उसी का बचाव कर रहा है।
पाकिस्तान की करतूत
कोरोना महामारी के बीच भी पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। जम्मू कश्मीर के कठुआ इलाके में इंडियन पाकिस्तान बॉडर के पास पाकिस्तानी प्रशिक्षित कबूतर पाया गया है। दरअसल‚ इस कबूतर के पैर में कोडिंग वाली रिंग मिली है व रिंग में कुछ संदिग्ध नंबर लिखे पाए गए हैं और कबूतर के पंखों पर लाल रंग के निशान हैं। इससे इस कबूतर को जासूस कबूतर माना जा रहा है। हालांकि यह पहली बार नहीं है कि जब पाकिस्तान ने गैर कानूनी तरीके से किसी चीज के जरिए अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारत की जासूसी करने की कोशिश की है। इससे पहले भी पाकिस्तान गुब्बारे‚ ड्रोन इत्यादि का इस्तेमाल जासूसी के लिए कर चुका है।
अनर्गल बयानबाजी
देश पहले ही कोरोना संक्रमण काल से जूझ रहा है और इस महामारी से मुक्त होने के कारगर कदम उठाने को प्रयासरत है परंतु इस संकटकालीन विपदा में भी राजनीतिक दल अनर्गल बयानबाजी और सियासत करने में पीछे नहीं और वाकया यह है कि समाचार पत्रों से ज्ञात समाचार के आधार पर कि लॉकडाउन के पीछे मोदी का लIय विफल। यह बयानबाजी राहुल गांधी की है जो अखबारों में सुÌखयों में है। अब विपक्षियों को मोदी जी के जनहित ओर राष्ट्रहित के निर्णयों की बदहजमी हो रही है और ऐसी अनर्गल उल्टियां करते नजर आ रहे हैं।
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