बॉलीवुड पर संवेदनशील मामलों पर चुप्पी बरतने के आरोप अक्सर लगते रहे हैं, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान अभिनेता सोनू सूद द्वारा गरीब लोगों को घरों तक पहुंचाने के लिए किए गए प्रयास सराहनीय हैं। सोनू सूद जैसे अभिनेताओं से सरकार के जिम्मेदार लोग बहुत कुछ सीख सकते हैं कि जनता के पैसे को जनता पर खर्च कर कैसे जनसेवा की जा सकती है। कोरोना वायरस बेशक आर्थिक रूप से सरकारों की कमर तोड़ रहा है, लेकिन अभिनेता सोनू सूद जैसे मदद करने वाले लोगों के सामने आने वाली प्रशासनिक मुश्किलों का तुरंत निपटारा तो सरकार कर ही सकती है। ऐसा करने से मदद करने वाले हाथ और ज्यादा मजबूत होंगे।
रविवार, 31 मई 2020
इंटरनेट का बढ़ता दायरा
डिजिटल दुनिया का साम्राज्य बढ़ता ही जा रहा है। आलम यह है कि सूक्ष्म से लेकर विशाल तक, सभी चीजों के लिए डिजिटल माध्यम को अपनाने की मांग हो रही है। एक तरफ, डिजिटल के फायदे हैं, तो दूसरी तरफ इसके कुछ नुकसान भी हैं। सभी के लिए, खासतौर से ग्रामीण इलाकों में, जहां इंटरनेट की सुविधा नहीं है, वहां डिजिटल नहीं, नॉर्मल दुनिया की जरूरत है। सरकारी स्तर पर भी अब हर जगह डिजिटल की मांग है, पर उसमें भी यह सबके लिए संभव नहीं। सरकारी क्षेत्र हो या निजी, किसी भी जगह डिजिटल के साथ-साथ सामान्य सुविधा भी आवश्यक है। डिजिटल के साथ ऐसी व्यवस्था भी जरूरी है, जो सबके लिए उपयुक्त हो और सब उसका आसानी से इस्तेमाल कर सकें।
चौधराहट मंजूर नहीं
भारत-चीन सीमा पर उत्पन्न तनाव को कम करने के लिए पिछले कुछ दिनों से कूटनीतिक और राजनीतिक प्रयास किए जा रहे हैं। इन कोशिशों का सकारात्मक परिणाम भी सामने आया है। अब चीन के रुख में नरमी दिखने लगी है। मगर, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बीच मध्यस्थता की पेशकश कर दी। जाहिर है, वह भारत-चीन सीमा विवाद को नया रूप देने की कोशिश में हैं। इससे पहले जम्मू-कश्मीर पर भी ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की बात कही थी, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था। मौजूदा हालात में, जब अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध चल रहा है और कोविड-19 पर उन दोनों में तकरार जारी है, तब अमेरिका द्वारा मध्यस्थता की बात कहना कहां तक प्रासंगिक है? सच्चाई तो यह है कि अमेरिका अपनी चौधराहट दिखाना चाहता है, जिसे हमें कतई नहीं मानना चाहिए।
सवाल तो पूछे ही जाएंगे
जिस देश का अनाज का भंडारण खाने से ३ गुना ज्यादा भरा पड़ा है‚ वहां कोई मां भूखों क्यों मर जा रही हैॽ ये सवाल हम कब और किससे पूछेंगेॽ निश्चित रूप से देश में अन्न के बफर स्टॉक रहने के बावजूद इस देश की कोई मां‚ कोई मजदूर‚ कोई भी गरीब ‘भूख' से मर रहा है! आखिर क्योंॽ इससे ज्यादा दुुख की बात और क्या हो सकती है! इसमें सीधे दोषी सत्ता पर कुंडली मार कर बैठे अशिष्ट‚ लापरवाह‚ अमानवीय‚ क्रूर सत्ता के कर्णधार हैं‚ जो ‘सबकुछ' रहते हुए भी इस देश की जनता को ‘भूखों मारने का दुष्कर्म' कर रहे हैं।
जनता का साथ जरूरी
कोरोना वायरस महामारी थमने का नाम नहीं ले रही है। इसलिए लॉकडाउन की प्रक्रिया बढ़ाई जा रही है। शनिवार को केंद्र सरकार ने ३० जून तक देश में लॉकडाउन लगाने का निर्णय लिया है। इस बार लॉकडाउन को तीन चरणों में बांटा गया है। जिंदगी अब पटरी पर लौटने लगी है‚ लेकिन कोरोन का खतरा टला नहीं है। अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए ये रिययतें दी जा रही है। सवाल यह है कि जब कोरोना वायरस तेजी से अपने पैर पसार रहा है तो क्या ऐसे में लॉकडाउन में छूट उचित हैॽ सरकार के सामने ये बड़ी चुनौती है कि अर्थव्यवस्था की गाड़ी को आगे बढ़ाने के साथ–साथ इस महामारी को कैसे हराया जाएॽ लोगों को भी अपने स्वास्थ के प्रति सचेत रहने की जरूरत है। क्योंकि सरकार अकेले इस युद्ध के सामना नहीं कर सकती
जब तक जनता के साथ न मिले
ख्वाजा का काम बेमिसाल॥ भारतीय सिनेमा‚ साहित्य व पत्रकारिता की बेमिसाल शख्सियत ख्वाजा अहमद अब्बास की आज पुण्यतिथि है। फिल्मों और साहित्य में उनके योगदान का हर कोई कायल है। अब्बास भारतीय सिनेमा‚ साहित्य व पत्रकारिता की सम्मानित शख्सियत हैं। उनका बहुआयामी व्यक्तित्व एवं कृतित्व हम सबके लिए प्रेरणादायी है। अब्बास ने सातवीं तक की शिक्षा अपने शहर पानीपत में ही प्राप्त की। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से १९३३ में बीए और १९३५ में एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। वे १ जून १९८७ को मृत्यु से पहले भी अपनी फिल्म–एक आदमी की डबिंग में लगे हुए थे। उनका काम हम सबके लिए एक बेमिसाल और अनमोल विरासत है
फरिश्ता बने सूद
मजदूरों के लिए लॉकडाउन शहरों से अपने गांवों–कस्बों की तरफ पलायन सबसे बड़ी समस्या है। मजदूरों की समस्या का हल निकालने के लिए कुछ जानी–मानी हस्तियां सामने आई उनमें से एक सोनू सूद हैं। मजदूरों को शहर से उनके गांवों–कस्बों तक सही सलामत भेज रहे हैं और मजदूरों के लिए फरिश्ते बन गए हैं। अब सवाल यह है कि क्या सोनू सूद की इस कोशिश से बाकी जानी–मानी हस्तियां लोगों की मदद के लिए आगे आएंगीॽ चाहे नेता हो या अभिनेता सबको इस संकट की घड़ी में अपने–अपने स्तर पर योगदान देना चाहिए
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
कोई बुरा ना माने,
मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...
-
हिमाचल प्रदेश में एक गर्भवती गाय का विस्फोटक पदार्थ खाने का मामला सामने आया है. इस मामले में एक शख़्स को गिरफ़्तार किया गया है. समाचार एजेंस...
-
अभिभावक बच्चों पर उम्मीदों का बोझ लाद देते हैं जबकि बच्चों को अपने सपने पूरे करने देना चाहिए। अब बच्चों को लेकर माता-पिता में संजीदगी कम ...
-
कानपुर–कांड़ का दुर्दान्त अपराधी विकास दुबे को काफी लम्बी जद्दोजहद के बाद अन्ततः मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्त में लिए जाने के बाद अब इस...