बुधवार, 17 जून 2020

चीनी सामानों का करें बहिष्कार

जिस प्रकार बॉर्डर पर चीन ने वार्ता की आड़ में भारत के पीठ में छुरा घोप कर हमारे 20 सैनिकों की जान ली है, उससे सिद्ध होता है कि वह सभ्यता की भाषा नहीं जानता। उसके साथ भी शठे शाठ्यम समाचरेत वाला व्यवहार करना होगा। देश भी अब 1962 वाला देश नहीं है। हम उससे लड़ने की पूरी क्षमता रखते हैं। हम सभी चीनी सामानों का सौ फीसदी बहिष्कार करें। यही देशभक्ति है। भारत के सैनिक भी उन्हें भरपूर जवाब दे रहे हैं और यह होना चाहिए। यदि वह शांति की भाषा नहीं समझता है तो यह आत्म सम्मान के लिए जरूरी है।

किसानों की बुनियादी समस्या हो दूर

भारत में कृषि कार्य मानसून का जुआ माना जाता था। स्वतंत्रता के बाद पंचवर्षीय योजनाएं बनीं, हरित क्रांति की बातें की गईं। तत्कालीन सरकारों के पास इच्छाशक्ति की कमी होने से किसानों की बुनियादी समस्याओं को ठीक से समझा नहीं गया। नतीजतन, किसान कर्ज में जन्म लेता है, कर्ज में जीता है, और कर्ज के चलते असमय जीवन गंवा देता है। कुछ संपन्न और बड़ी जोत के किसानों को छोड़ दें तो आज भी हालात ज्यों के त्यों हैं। उपज का उचित दाम न मिलने, प्राकृतिक आपदा और बिचौलियों के शोषण से अन्नदाता बमुश्किल अपना जीवन गुजार पा रहे हैं। यही कारण है कि कृषि के प्रति किसानों का उत्साह कम होता जा रहा है। कृषि कार्य से विमुख होकर किसान दूसरे काम, धंधों की ओर उन्मुख हो रहे हैं। 

चीन की चाल

सुपर पावर बनने की चीन की चाहत ने आज दुनिया के लिए एक चुनौती खड़ी कर दी है। पहले उसने कोरोना रूपी संकट दुनिया के सामने खड़ा किया और अब अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए भारतीय सीमा में दखल दे रहा है। इस स्थिति में भारत की विदेश नीति कमजोर पड़ती दिख रही है। स्थिति यह है कि चीन ने अपने नापाक इरादों को पूरा करने के लिए नेपाल को भी हमारे खिलाफ खड़ा कर दिया है, जबकि अब तक काठमांडू हमारा सबसे विश्वसनीय मित्र रहा है। प्रधानमंत्री को बाकी सभी देशों के साथ मिलकर चीन से आ रही चुनौती से निपटना चाहिए। उन्हें चीन के खिलाफ डटकर खड़ा होना चाहिए।

कृषि और स्वरोजगार की शिक्षा दें

देश को विभिन्न समस्याओं से मुक्त करने में पढ़े-लिखे नागरिकों का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है, लेकिन यह तभी संभव है जब वे किताबी पढ़ाई-लिखाई के साथ नैतिकता और इंसानियत का सबक भी पढ़ें। स्कूलों से आत्मनिर्भरता की राह तभी निकल सकती है, जब विद्याÍथयों को देशसेवा, जनसेवा का भी सबक पढ़ाया जाए। यही नहीं हमारे देश की आत्मनिर्भरता की राह में जनसंख्या भी एक बहुत बड़ी बाधा है। स्कूलों और अन्य शिक्षण संस्थाओं से हर वर्ष लाखों की संख्या में युवा पढ़ाई-लिखाई कर रोजगार तलाशने की ओर अग्रसर होते हैं। इनमें बहुत से दफ्तरी रोजगार पाने की लालसा रखते हैं। अगर इन्हें शिक्षा संस्थानों में कृषि और अन्य स्वरोजगार के बारे में भी पढ़ाया-समझाया जाए तो यह इनके बेहतर भविष्य के लिए उचित होगा। इससे देश में बेरोजगारी की समस्या से भी निपटने में काफी मदद मिलेगी। स्वरोजगार से देश में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।

जवाब देने का वक्त

चीन से जिस तरह का अंदेशा था, आखिर उसने वही विश्वासघात किया। भारतीय सैनिकों के शहीद होने की खबर से पूरा देश शोकाकुल है। भारत इसका बदला जरूर लेगा, लेकिन पीठ पीछे वार करके नहीं। इस हमले में चीन की कायरता ही नजर आई। इसलिए अब हमें अपनी चीन-नीति बदल लेनी चाहिए। हमें अब मान लेना चाहिए ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई' कभी नहीं हो सकते। अब चीन से सभी तरह के राजनीतिक, आर्थिक, अंतरराष्ट्रीय और सैन्य समीकरण बदल जाने चाहिए। चीन को अलग-थलग करने की लड़ाई अब प्रमुखता से लड़ने की जरूरत है। भारत के लिए यह माकूल समय है, जब लगभग आधी दुनिया चीन के खिलाफ है। अब भारत सन 1962 वाला नहीं रहा। चीन को मजबूत जवाब दिया जाना चाहिए।

खान-पान पर भी बरतें सावधानियां

कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए हर व्यक्ति को खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बाहर की वस्तु का सेवन कदापि न करें और बच्चों को भी दुकानों के खुले सामान आइसक्रीम, कोल्डिंक्स इत्यादि का सेवन कतई न करने दें। घर में भी फ्रिज का बहुत ठंडा पानी व अधिक मसाला का सेवन न करें। कोरोना वायरस के साथ ही भीषण गर्मी का प्रभाव भी व्यक्ति के ऊपर पड़ता है, जिससे तरह-तरह की बीमारियां पांव पसारने लगती हैं। बाहरी सामानों के सेवन से संक्रमण का खतरा हर पल बना रहता है। इस नाते संकट के इस दौर में भरसक प्रयास करें कि बाहर के सामानों का सेवन न करना पड़े, जिससे संक्रमण को रोका जा सके। 

अनलॉक में खुद पर नियंत्रण जरूरी

जनपद में तेजी से कोरोना संक्रमित लोगों का तादात बढ़ रहा है। बाहर से असुरक्षित तरीके से यात्र कर आए श्रमिकों से संक्रमण बढ़ गया है। अभी भी बड़ी संख्या में प्रवासी लोग अपने-अपने घरों में छिपे पड़े हैं। उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए खुद ही अपने को क्वारंटीन होना चाहिए। अपने परिजनों की भलाई के लिए सभी आगंतुक प्रवासी लोगों को प्रशासनिक और चिकित्सीय सलाह को मानते हुए स्वयं शारीरिक दूरी बनाकर सुरक्षित रहना चाहिए। जरा भी खांसी, बुखार व कोई कोरोना का लक्षण दिखे तुरंत डॉक्टर को फोन कर बुलाये। अनलॉक का मतलब कोरोना का समाप्ति नहीं है अभी और ज्यादा सावधानी पूर्वक रहने की जरूरत है। घर के बच्चों और बुजुर्गों सहित बीमार लोगों का विशेष ख्याल रखना बहुत जरूरी है। 

कोई बुरा ना माने,

मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...