मंगलवार, 25 अगस्त 2015

सुविधा तो दूर जानकारी भी नही मिलती


जिला अस्पताल में पहली बार आये नये मरीजों के परिजनों को काफी सांसत का सामना करना पड़ता है पहले तो उन्हें यह कोई बताने वाला नही होता है कि मरीज को दिखाने के लिए पर्चा कहां कटेगा, कैसे मरीज भर्ती होगा इस तरह की तमाम जानकारियां परिजन को देने वाला कोई नही होता है। उल्टे परिजन जब यह जानकारियां लेने के लिए कर्मचारियों से पूछते है तो उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। जिला अस्पताल में रात में आये नये मरीजों के परिजनों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। रात में सभी भर्ती मरीजों के परिजन भी अस्पताल परिसर में इधर-उधर सो जाते है और कर्मचारी ड्यूटी बजाते इधर- उधर ही रहते है ड्यूटी रुम में कोई अप्रशिक्षित नर्स बैठी होती है चिकित्सक अपने रुम में विश्राम करती है। ऐसा अक्सर होता है अस्पताल परिसर में जो गार्ड तैनात रहते है उनको भी इतना नही मालूम रहता है कि वह परिजन को कुछ ज्यादा बता सके और अन्दर जाकर पूछने की सलाह देते है। ऐसे में यदि रात में कोई सिरियस मरीज लाया गया तो वह अस्पताल के चक्कर ही लगाते रह जायेंगे और किसी भी अप्रिय घटना के शिकार हो जायेंगे। ऐसा कई बार हुआ भी है लेकिन सरकारी रिकार्डों में इसका जिक्र नही है क्योंकि मरीज की जान जाने के बाद उसको अस्पताल परिसर से भगा दिया जाता है। यदि कोई मरीज ठीक-ठाक स्थिति में लाया गया और वह ड्यूटी रुम में किसी तरह पहुंच जाता है और मरीज की स्थिति बता कर मरीज को भर्ती करने के लिए कहता है तो अप्रशिक्षित नर्स या वहां बैठा कोई कर्मचारी वहां से हिलने का प्रयास नही करता है यदि शोर शराबा शुरु हो जाता है तो कर्मचारी कहता है कि हमें क्यों परेशान कर रहे हो चिकित्सक साहब इतनी रात में नही आयेगी उन्होंने जगाने से मना कर रखा है और मरीज को एक दो सुईं लगाकर सुबह तक इंतजार करने के लिए कह दिया जाता है।

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