जिले के अधिकांश थानों पर मुकदमें ही नहीं दर्ज होते हैं। पीड़ितों को भगा दिया जाता है। बदमाशों, अपराधियों को छोड़ दिया जाता हैं। ऐसे में क्राइम कंट्रोल कैसे होगा। पुलिस की कार्यप्रणाली किसी से छुपी नहीं है। रोजाना कोई न कोई मामला प्रकाश में आता हैं कि पीड़ित की रिपोर्ट नहीं लिखी गयी। अगले दिन कोई न कोई वारदात पीड़ित के साथ हो जाता हैं। इसके बाद ही पुलिस जागती है। बताया जाता हैं कि इसके पीछे कई कारण हैं जिसमें पुलिस उच्चाधिकारियों का यह फरमान भी हैं कि कम से कम मुकदमें दर्ज किये जाए जिससे अपराध कम दिखाये जा सके। बाहुबली या धनबली के खिलाफ मुकदमें नही दर्ज किये जाते हैं क्योंकि उनकी ऊंची पहुंच और जुगाड़ पुलिस के नाक में दम किये रहते है। ऐसे में दिनोदिन अपराध बढ़ ही रहे है। अपराध को कम करने के पुलिस उच्चाधिकारियों के सारे प्रयास धरे के धरे रह जा रहे हैं क्योंकि पुलिसियां कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं हो रहा हैं।
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