मंगलवार, 14 मार्च 2017

परंपराओं की जड़ काटकर पहले नल, फिर नलकूप और अब तो सब्मर्सिबल लगाए जा रहे हैं। सब्मर्सिबल मानों गली-मुहल्ले के भवनों के बाहर टंगी नामपट्टी है

Embed code not available


from Twitter https://twitter.com/SHAKTIANAND1

March 14, 2017 at 04:06PM
via IFTTT

हमसे दूर जाते पानी


हमसे दूर जाते पानी को रोकने के लिये हमें एक बार फिर पीछे लौटना होगा यानी पानी सँजोने की जाँची-परखी परम्पराओं को फिर से जीवित करना होगा। भारत में पानी के प्रबंधन की परम्पराएँ हजारों वर्ष तक व्यवहार में रही हैं। जल समस्याओं के स्थाई हल निकालने होंगे। पानी के विवेकपूर्ण प्रबंधन हेतु संस्थागत बदलाव भी जरूरी है। यह अत्यंत सतर्कता का समय है।

बुन्देलखण्ड में पानी के मुद्दे पर लहलहाती है सिर्फ राजनैतिक फसल

Shakti Anand Kanaujiya

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुन्देलखण्ड में एक रैली में कहा था जो सेटेलाइट छोड़े गए हैं उनसे बुन्देलखण्ड में अवैध खनन रोका जाएगा। सेटेलाइट से पता किया जाएगा कि कहाँ पर कैसे अवैध खनन हो रहा है। सेटेलाइट जब होगा तब होगा बेहतर हो कि अधिकारियों पर नकेल कसी जाये। ताकि यहाँ हो रहे अवैध खनन को रोका जाये। अवैध खनन से नदियों का रुख मुड़ जाता है और जरूरत के मुताबिक लोगों को पानी नहीं मिल पाता। नतीजतन लोग बर्बाद हो रहे हैं। खेती किसानी सब बन्द है।

बचाएँ पानी और जंगल


एक तरफ हमारे जंगल तेजी से खत्म होते जा रहे हैं। जंगल खत्म होते जाने का सीधा असर बारिश कम होने तथा पर्यावरण तंत्र के नुकसान के रूप में सामने है, दूसरी तरफ उद्योगों के क्रियाकल्पो से वायुमण्डल दूषित होता है। इसका बड़ा खामियाजा हमारे स्वास्थ्य को भुगतना पड़ता है और कई गम्भीर बीमारियों का कारण भी बनता है। हमें अपने पर्यावरणीय सरोकारों के प्रति गम्भीरता से सोचने और इस दिशा में काम करने का। अब भी यदि हम कुछ नहीं कर सकें तो नई पीढ़ी के लिये हम कौन-सी और किस तरह की दुनिया छोड़ जाएँगे, कहना मुश्किल है।

शनिवार, 11 मार्च 2017

कोई बुरा ना माने,

मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...