खबर है कि रेलगाड़ी से आते प्रवासी मजदूरों से किराया वसूला गया। करीब डेढ़ महीने की जटिल वेदनाओं को सहने के बाद उन भूखे-प्यासे, दर-दर की ठोकर खाए मजदूरों की दशा बिल्कुल खराब हो चुकी होगी। जो थोड़े बहुत पैसे उनकी जेबों में रहे होंगे, वे भी इस बंदी में खत्म हो गए होंगे। मगर उनसे टिकट का किराया तो वसूला ही गया, पानी और भोजन का रुपया भी अलग से लिया गया। जब पूरे देश में जगह-जगह खाने के पैकेट विभिन्न सामाजिक लोगों या संगठनों द्वारा बांटे जा सकते हैं, तो क्या सरकार रेलगाड़ी में बैठे मजदूरों को खाना-पानी नहीं दे सकती थी? जिन मजदूरों के कठिन परिश्रम से देश को मजबूती मिलती है, जब उनके साथ ऐसा होगा, तो किसानों, छात्रों जैसे निम्न आय वर्गों का क्या होगा? सरकार ने दूसरे देशों से अपने नागरिक बुलाए, तो शायद ही उनसे किराया लिया, तो फिर मजदूरों के साथ ऐसा क्रूर मजाक क्यों?
रविवार, 10 मई 2020
बुधवार, 6 मई 2020
सोनभद्र के सभी प्राइवेट स्कूल तीन महीने की छात्रों की फीस माफ करे
विश्व महामारी कोरोना के चपेट से देश व प्रदेश संकट के दौर से गुजर रहा है. लोग लॉकडाउन का पालन कर अपना व देश की सुरक्षा करने में डटे हुए हैं सोनभद्र जिले में एक भी कोरोना पीड़ित ना मिलने जिले में राहत की सांस ली है. ऐसे आपदा में एक दूसरे को सहयोग करके ही आगे बढ़ा जा सकता है लॉकडाउन के कारण पूरी तरह व्यापार में लगे लोग चाहे फुटकर विक्रेता, थोक विक्रेताओं, मध्यमवर्गीय उद्योग, कुटीर उधोग, सब्जी वाले, ठेले वाले, ऑटो, हेयर सैलून, अन्य छोटे कारखानों के श्रमिकों की हालत बद से बदतर हो रही है ऐसे में परिजनों के सामने प्राइवेट स्कूल का फ़ीस देना भी एक बड़ी समस्या है. लोगों के पास रोजगार ना होने के कारण आमदनी पूरी तरह शून्य हो गई है. ऐसे में सोनभद्र जिले के प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधक व संचालकों से देशहित-लोकहित की भावना से अपने स्कूल के छात्रो का तीन महीनों की फीस मानवीय दृष्टि से माफ करने की कृपा करें. क्योंकि लोगों के सामने आर्थिक संकट है और ऐसे में स्वयं का जीवन-यापन करना भी एक मुश्किल कार्य बनता जा रहा है. ऐसे में प्राइवेट स्कूल संचालक तीन महीने की फीस माफ कर अभिवावकों को एक बड़ा सहयोग होगा. ऐसे विषम परिस्थिति में स्कूल की फीस माफ कराने में जिलाधिकारी सोनभद्र द्वारा जिले में स्थापित कंपनियों जैसे एनसीएल, एनटीपीसी, हिंडालको, जयप्रकाश सीमेंट फक्ट्री, खनन एवं अन्य कंपनियों से सामाजिक दायित्व के तहत मदद लेकर स्कूल के बच्चों की फीस माफ कराने में अपना सहयोग प्रदान कर जनहित में सहयोगी होगा.
रविवार, 3 मई 2020
प्रदेश सरकार युवाओं व कामगारों को दे प्रति माह की आर्थिक सहायता राशि
जिले के
बेरोजगार युवाओं व असंगठित क्षेत्र के कामगारों को प्रतिमाह आर्थिक
सहायता राशि देने व साथ ही विधायक एवं सांसद भी अपनी निधि
की सम्पूर्ण राशि जिले के इन गरीबों परिवारो पर अगर खर्च करें तो
ज्यादा बेहतर व कारगर होता, आगामी 17 मई तक लाकडाउन जारी रहने के मद्देनजर इन बेरोजगार युवाओं व कामगारों के लिए यह मदद
काफी उपयोगी साबित होगी, लाकडाउन में गंभीर स्थिति के चलते श्रमिकों का गरीबों के सामने अपना
अस्तित्व बचाने का संकट आ खड़ा हुआ है रोजाना कमाने वाले इन लोगों को अब
अपने परिवार का पेट पालना मुश्किल हो गया है इस तरह की खबरें भी लगातार आ
रही है कि प्रदेश के कई जिलों में कई ट्रक फल सब्जियां एवं रोजमर्रा की
आवश्यक वस्तुएं सही प्रबंधन के अभाव में बर्बाद हो रही हैं और जिला प्रशासन
इन्हें आम जनता तक पहुंचाने में नाकामयाब साबित हो रहा है इसके परिणाम
स्वरूप एक तरफ जहा महंगाई में अप्रत्याशित बढ़ोतरी लगातार हो रही है वही प्रदेश के अति गरीब वर्ग, विशेषकर बेरोजगार युवाओं, खेतों में काम करने वाले मजदूरों, छोटे उद्योगों में काम करने वाले
कर्मियों, छोटे किसान, मीडिया में कार्यरत कर्मचारियों, छोटे दुकानदारों, रिक्शा चालकों को बिना भेदभाव किए कम से कम ₹5000 की राशि प्रतिमाह आर्थिक
सहायता देने के लिए तुरंत आवश्यक कदम उठाये जाने की आवश्यकता होनी चाहिए
सोमवार, 27 अप्रैल 2020
जिम्मेदार नागरिक की भूमिका अदा करें
आज पूरा विश्व कोरोना वायरस से जूझ रहा है। भारत भी लॉकडाउन के जरिए इस पर काबू पाने में लगा हुआ है। लाकडाउन के निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए शारीरिक दूरी का पालन हम जहां भी रहे जिम्मेदारी के साथ करें। एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में हम स्वयं इसका पालन करते हुए लोगों को पालन करने के लिए प्रेरित करें। ज्यादा अच्छा हो कि हम घर से बिल्कुल ही न निकले। यदि आवश्यक हो तो मास्क लगा कर ही निकले। हमारे देश में जब भी संकट आया है, पूरा राष्ट्र एकजुटता का परिचय देते हुए उसका सामना किया है। इसी का परिणाम है कि हमने हैजा, प्लेग, चेचक,तपेदिक आदि पर बिमारियों पर विजय पाई है। कोरोना पर भी निश्चित तौर पर विजय पा लेंगे।
कोरोना पर राजनीति
भारत इस वक्त कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का सामना अपने दृढ़ संकल्प से कर रहा है। पश्चिमी मीडिया और भारत के एक वर्ग के भीतर यह कुंठा साफ महसूस की जा रही है कि भारत में इस महामारी ने अपना प्रचंड प्रकोप क्यों नहीं दिखाया? भारत जैसे देश में इतनी कम मौतें कैसे हुईं? लाखों मौतों की उनकी भयावह गिनती का क्या हुआ? भारत जैसा देश सीमित संसाधनों के साथ इतना अच्छा कैसे कर सकता है? कुछ विपक्षी दल भी कोरोना से लड़ती केंद्र सरकार को सलाह देने के नाम पर जिस तरह नए-नए सवाल खड़े कर रहे हैं, उससे यही लगता है कि उनका इरादा सरकार को कठघरे में खड़ा करना अधिक है, साथ मिलकर इस महामारी से देश को बचाना नहीं। इस समय यह राजनीति दुखद है।
अर्थव्यवस्था से उबारने को छह मापदंड
- स्वच्छ एवं हरित बदलावों के जरिए नई नौकरियों एवं व्यवस्थाओं को बढ़ाएं
- उबारने के पैकेज में सतत विकास को शामिल करें
- जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी *समाप्त करें
- वित्तीय प्रणाली में जलवायु जोखिम एवं अवसरों को शामिल करें
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय के रूप में मिलकर कार्य करें।
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