मंगलवार, 12 मई 2020
गंदी राजनीति से बचें
क्या मज़दूर अब ग़ुलाम हो जाएंगे?
सोमवार, 11 मई 2020
सामूहिक प्रयास हों
केंद्र और राज्य सरकारों के सामने परीक्षा की यह वह घड़ी है, जब कोरोना संक्रमण से बचते हुए अर्थव्यवस्था को बचाने के प्रयास करने हैं। यह करीब-करीब स्पष्ट है कि कारोबारी गतिविधियों को गति देने के कुछ उपाय अब किए जाएंगे। इसलिए यह जरूरी है कि केंद्र और राज्य ज्यादा से ज्यादा फैसले मिलकर करें और उन पर अमल केंद्र सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप हो।
बेपरवाह व्यवस्था
महाराष्ट्र के औरंगाबाद की रेल पटरियों पर पीड़ादायक हादसे के बाद भी कोढ़ में खाज यह है कि बेजान और पत्थर दिल होती व्यवस्था अब भी कोई सबक नहीं सीख रही। केवल घड़ियाली आंसू बहाकर मातमपुर्सी की जा रही है। इस हादसे के बाद भी दिहाड़ी मजदूर सड़कों और रेलवे पटरियों के किनारे उठते-बैठते, भूखे-प्यासे, धक्के खाते आ-जा रहे हैं। संवेदनशून्य होती हमारी व्यवस्था की मानवीय संवेदनाएं आखिर कब जागेंगी? ऐसे हादसों से कोई सबक नहीं लेना अब व्यवस्था का खेल होता जा रहा है, क्योंकि उसकी नजरों में आम आदमी की कोई हैसियत ही नहीं है।
बदहाल अन्नदाता
जहां भारत में रोजाना कोरोना मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है और अर्थव्यवस्था नीचे गिरती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ हमारी अर्थव्यवस्था के आधार किसानों की हालत भी लगातार दयनीय होती जा रही है। पहले ही महामारी और पूर्ण बंदी ने सारा काम बिगाड़ रखा है, और अब बेवक्त की आंधी और बारिश ने बची कसर पूरी कर दी। पूर्ण बंदी की वजह से किसान अपनी फसल नहीं काट पा रहे, जबकि आंधी-पानी से फसल खेत में ही खराब हो रही है। पता नहीं, हमारे अन्नदाताओं की मुश्किलों का अंत कब होगा?
महाराष्ट्र की जंग
जब किसी राज्य के मुख्यमंत्री को अपनी कुरसी बचाने के लिए धमकी देनी पडे़, तो ऐसे मुख्यमंत्री को मजबूत कतई नहीं कहा जाएगा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ऐसे ही मुख्यमंत्री हैं। जिस तरह से महाराष्ट्र विधान परिषद के चुनाव के लिए महा विकास आघाडी में शामिल पार्टियों में घमासान मचा हुआ है, उससे तो यही लगता है कि उनमें समन्वय का घोर अभाव है। वैसे शिवसेना की धमकी के बाद उद्धव ठाकरे का राज्य विधान परिषद में जाना तय है, लेकिन जिस तरीके से कांग्रेस ने शिवसेना को परेशान कर दिया, उससे तो यही जाहिर होता है कि उनमें अच्छा तालमेल अब तक नहीं बन सका है।
कोई बुरा ना माने,
मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...
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