बुधवार, 27 मई 2020

चीन की सीनाजोरी

चीन बदमाशी कर रहा है। पूरी दुनिया को कोरोना संकट में डालने के बाद भी वह आंखें तरेर रहा है। अपने ऊपर लगे आरोपों से वह नाखुश है। चीन के विदेश मंत्री का तो यह भी कहना है कि मुआवजे की मांग करने वाले देश दिवास्वप्न देख रहे हैं, अर्थात चीन का दुस्साहस इस कदर बढ़ गया है कि वह माफी मांगने की बजाय दूसरे देशों को धमका रहा है। सच यही है कि चीन ने कोरोना वायरस के बारे में दुनिया को बताना उचित नहीं समझा, जिसके कारण इसका फैलाव तेजी से हुआ। इसका प्रकोप सबसे ज्यादा अमेरिका में हुआ है, जहां एक लाख से अधिक लोग इसका शिकार बन चुके हैं। फिर भी, चीन की ऐठन कम नहीं हुई है। दुखद यह भी है कि डब्ल्यूएचओ परोक्ष रूप से उसी का बचाव कर रहा है।

पाकिस्तान की करतूत

कोरोना महामारी के बीच भी पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। जम्मू कश्मीर के कठुआ इलाके में इंडियन पाकिस्तान बॉडर के पास पाकिस्तानी प्रशिक्षित कबूतर पाया गया है। दरअसल‚ इस कबूतर के पैर में कोडिंग वाली रिंग मिली है व रिंग में कुछ संदिग्ध नंबर लिखे पाए गए हैं और कबूतर के पंखों पर लाल रंग के निशान हैं। इससे इस कबूतर को जासूस कबूतर माना जा रहा है। हालांकि यह पहली बार नहीं है कि जब पाकिस्तान ने गैर कानूनी तरीके से किसी चीज के जरिए अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारत की जासूसी करने की कोशिश की है। इससे पहले भी पाकिस्तान गुब्बारे‚ ड्रोन इत्यादि का इस्तेमाल जासूसी के लिए कर चुका है। 

अनर्गल बयानबाजी

देश पहले ही कोरोना संक्रमण काल से जूझ रहा है और इस महामारी से मुक्त होने के कारगर कदम उठाने को प्रयासरत है परंतु इस संकटकालीन विपदा में भी राजनीतिक दल अनर्गल बयानबाजी और सियासत करने में पीछे नहीं और वाकया यह है कि समाचार पत्रों से ज्ञात समाचार के आधार पर कि लॉकडाउन के पीछे मोदी का लIय विफल। यह बयानबाजी राहुल गांधी की है जो अखबारों में सुÌखयों में है। अब विपक्षियों को मोदी जी के जनहित ओर राष्ट्रहित के निर्णयों की बदहजमी हो रही है और ऐसी अनर्गल उल्टियां करते नजर आ रहे हैं। 

बहाल हों अनिवार्य सेवाएं

लॉकडाउन के बाद पूरे देश की आÌथक स्थिति चरमरा गई है। छोटे उद्योग–धंधे वाले‚ छोटे पूंजीपति वर्ग‚ कारीगरों के लिए सरकार ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। सिर्फ राशन दुकान और फल–सब्जी विक्रेता को छूट दी गई है। क्या दूसरे व्यवसाय करने वाले लोग ‘हवा' पीकर रहते हैंॽ इन लोगों की जमा पूंजी खत्म हो गई है। भूखों मरने और सड़कों पर आने की नौबत आ गई है। मजदूर‚ राजमिस्त्री‚ ऑटो पार्ट्स के दुकानदार‚ वाहन चालक जैसे लोगों का जीवन मुश्किल में है। अब तक के परिणाम से जब तय हो गया है कि लॉकडाउन कोविड–१९ का कोई इलाज‚ हल नहीं है‚ तो सामाजिक दूरी तय कर के सुरक्षा के नियमों के तहत सरकार को अनिवार्य सेवाएं बहाल कर देनी चाहिए। 

चीन की हरकत

जहां एक तरफ आज जब सारी दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना के संकट से जूझ रही है‚ वहीं हमारे देश के नापाक पड़ोसी देशों को शरारत करने की सूझ रही है‚ जो बहुत ही शर्मनाक और निंदनीय है। हमारे देश के साथ लगती सीमाओं पर समय–समय पर चीन अपनी हरकतों से साबित कर देता है कि इसके दिल में चोर है और यह हमारे देश के साथ दोस्ती कि आड़ में दुश्मनी भी खूब निभाता है। हमारा देश चीन को आÌथक रूप से कमजोर करने के लिए अपने यहां चीनी बाजार का वर्चस्व कम करे और कोरोना के कारण इसकी बिगड़ी छवि का फायदा उठाते हुए वहां स्थापित कंपनियों को का न्यौता दे तो इसकी अक्ल ठिकाने आ जाएगी‚ सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी। 

भरोसा जगाना जरूरी

मूलभूत आवश्यकताओं के पूरा ना होने के कारण मजदूरों का जमावड़ा शहरों से गांव की तरफ जा रहा है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या मजदूरों के लिए शहरों में दोबारा रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगेॽ देश के हालात फिलहाल खराब ही हैं और परिस्थितियां बद–से–बदतर होती जा रही है। ऐसे में रोजगार की अपेक्षा करना असंभव सा लगता है। सरकार को परिस्थितियों को काबू में करने के लिए बड़े कदम उठाने की आवश्यकता है और हताश लोगों के मन में बेहतर होने का भरोसा जगाना है।

सतर्क रहें

इस समय हर किसी को मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता की जरूरत है। शरीर के पोषण के लिए हमें खाद्य पदार्थों की प्रतिदिन आवश्यकता होती है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रोटीन‚ वसा‚ कार्बोहाइड्रेट‚ विटामिन तथा खनिज लवण आदि की पर्याप्त मात्रा को आहार में शामिल करना आवश्यक है तथा ये सभी पोषक तत्व संतुलित आहार से ही प्राप्त किए जा सकते हैं। यह तभी संभव है‚ जब बाजार में मिलने वाली खाद्य सामग्री‚ दालें‚ अनाज‚ दुग्ध उत्पाद‚ मसाले‚ तेल इत्यादि मिलावटरहित हों। मिलावटी पदार्थों से बचने और अपमिश्रण की पहचान के लिए प्रशासन के साथ–साथ हमें भी जागरूक होने की जरूरत है। कोरोना काल में वैसे भी हमें ज्यादा जागरूक बनने की जरूरत है।

कोई बुरा ना माने,

मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...