बुधवार, 24 जून 2020

सफाई न होने से गलियों में जलजमाव

मानसून से पहले नगर पालिका परिषद प्रशासन की तैयारियां अधूरी हैं। शहर में नाले-नालियों की हालत देख कर इसका अंदाजा साफ तौर पर लगाया जा सकता है कि मानसून पूर्व तैयारियों को लेकर प्रशासन संजीदगी नहीं बरत रहा। इससे आने वाले दिनों में जनता की मुश्किलें और बढ़ेंगी। फिलहाल अधिकांश नालियां गंदगी से पटी पड़ी हैं। बजबजाती नालियों की दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। वहीं कटहल नाले में भी जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा है और पानी जाम हो गया है। अगर समय रहते प्रशासन नहीं जागता है तो लोगों को जलनिकासी की समस्या से सामना करना पड़ेगा।- बच्चू जी, स्टेशन रोड, बलिया।परीक्षाफल से बच्चों का आकलन न करें27 जून को माध्यमिक शिक्षा परिषद के वर्ष 2020 के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के परीक्षा परिणाम की बाबत विद्यार्थियों के प्रति स्थायी विचार न बनाएं क्योंकि इस वर्ष आने वाला परीक्षाफल कई सारी बाधाएं और विसंगतियों के बाद आ रहा है। कोरोनाकाल में बोर्ड परीक्षा के उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन में आने वाली रुकावटों के बाद यह रिजल्ट आ रहा है। यूपी बोर्ड ने बच्चों के हितों को ध्यान में रखकर उन्हें आगामी कक्षा की तैयारी के लिए निर्णायक समय में उन्हें परीक्षाफल दे रहा है। जिससे हो सकता है कि इस आपाधापी में कापियों का सही आकलन और मूल्यांकन नहीं हो पाया हो। परीक्षाफल से बच्चों का आकलन नहीं करना चाहिए।

लोकतंत्र की हत्याए.

आज के ही दिन 25 जून, 1975 को भारत के महान लोकतंत्र की हत्या हुई थी। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सत्ता के लिए देश के लोकतंत्र का गला घोंटने में संकोच नहीं किया था। देश ने लगातार 21 महीने तक इंदिरा शासन की तानाशाही को बर्दाश्त किया था। संजय गांधी और उनके सलाहकार आरके धवन की चौकड़ी ने कैबिनेट और अन्य संवैधानिक संस्थाओं को धता बताकर देश के शासन का संचालन सूत्र अपने हाथों में ले लिया था। एक अनजाने भय के वशीभूत होकर इंदिरा सरकार ने संघ के सभी आयु वर्ग के स्वयं सेवकों के साथ जो क्रूरतम व्यवहार किया, उसको विस्मृत नहीं किया जा सकता। यह अत्याचार कांग्रेस के लिए इतना घातक सिद्ध हुआ कि 1977 के आम चुनाव में देश की आम जनता ने इंदिरा गांधी को सत्ताच्युत कर दिया। यद्यपि विपक्षी दलों के घालमेल से बनी जनता दल सरकार भी बहुत दिनों तक स्थिर नहीं रह पाई। जिसके परिणामस्वरूप अगले लोकसभा चुनाव में देश की जनता ने सब कुछ भुलाकर इंदिरा गांधी के हाथों में फिर से देश की बागडोर सौंप दी। राजनीति में इस तरह का विस्मरण संभव है, लेकिन सामान्य जन-जीवन में आपातकाल के काले अध्याय को भुला पाना संभव नहीं है, क्योंकि लोकतंत्र की रक्षा के लिए यह किसी सबक से कम नहीं है।

बारिश ने खोली पोल

दो दिन की बारिश ने नगर पालिका के सफाई व्यवस्था की कलई खोलकर रख दी है। शुरुआती बारिश के बाद नगर के गली-मोहल्ले की नालियां चोक हो गई हैं। इससे नगर पालिका की तरफ से कराए गए गुणवत्ता के कार्यों का पता लग रहा है। नगरवासी जाम नालियों से परेशान हैं। साफ-सफाई ठीक ढंग से होती तो इस तरह की समस्या का सामना न करना पड़ता। बरसात से पहले नगर पालिका को युद्ध स्तर पर सफाई अभियान चलाना चाहिए, जिससे इस समस्या से निजात मिल सके।

मनरेगा की जांच हो, खुलेगा राज

मनरेगा को लेकर जनपद में हर जगह चर्चा है। हालात तो यह है कि इसमें धन का बंदरबांट इस तरीके से किया जा रहा है जिसमें किसी को पकड़ना मुश्किल हो रहा है यानी नीचे से लेकर ऊपर तक लोग जुड़े हुए हैं। अगर इसकी पारदर्शी ढंग से जांच हो तो बड़ा खुलासा होगा। कई जगहों पर तो बिना काम कराये पैसा निकाल लिया गया है। श्रमिकों को नौकरी देने के नाम पर जमकर सरकारी धन से अपनी जेबें भरीं जा रही हैं। आने वाले दिनों में हो सकता है जगह-जगह आंदोलन भी शुरू हो। यही हालात टंका के मामले में भी है। इसे लेकर भी लोगों में आक्रोश उभरने लगा है। इस मामले में शासन स्तर से जांच कराने की जरूरत है।

बच्चों को दें अच्छे संस्कार

अभिभावक बच्चों पर उम्मीदों का बोझ लाद देते हैं जबकि बच्चों को अपने सपने पूरे करने देना चाहिए। अब बच्चों को लेकर माता-पिता में संजीदगी कम होती जा रही है। आजकल के व्यस्तता भरे जीवन में हर व्यक्ति के पास समय का अभाव है। ऐसे में लोग बच्चों पर भी उचित ध्यान नहीं दे पाते। उनकी गतिविधियों को नजरअंदाज करते हैं। इससे उनमें संस्कार कम होते जा रहे हैं। जिन बच्चों को उम्मीद से ज्यादा आजादी दी जाती है, वे अक्सर परिजनों के साथ-साथ समाज को भी शर्मसार कर देते हैं। आज बच्चे अपने दादा-दादी, नाना-नानी के पास बैठना पसंद नहीं करते हैं जबकि बड़े-बुजुर्गों से ही बच्चों को संस्कार प्राप्त होते हैं। सभी माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें ताकि समाज में नाम रोशन कर सकें।

AGHORI KILA

राबर्टसगंज से 25 कि0 मी0 दक्षिण चोपन से 7 कि0 मी0 पश्चिम स्थित यह किला तीन नदियों रेणु विजूल तथा सोन के बीच स्थित है । इस किले में कहावत के अनुसार बहुत सम्पदा है एवं यह भी तिलस्मी किला है । मोलागत राजा से लोरिक का युध्द यंही पर हुआ था । इस किले में देवी दुर्गा की कलात्मक मूर्ति आंगन के द्वार पर है । यंहा पर एक कुंआ है जो बहुत गहरा है सोन नदी से इसका सन्बंध बताया जाता है । आगे राजा की कचहरी है फिर परकोटा है जंहा से दरवाजा है । नीचे एक बड़ा हाल है जंहा हजारो लोग निवास कर सकते हैं । यंहा भी दुर्गा जी की एक कलात्मक मूर्ति स्थापित है । यंहा पर देवी की पूजा करने लोग दूर दूर से आतें हैं । दुर्ग को चारो ओर से नाले तथा खाई से सुरक्षित किया गया है । इस दुर्ग पर खरवारों का अधिपत्य था जिसे बाद में चंदेलों ने अपने अधीन कर लिया था । दुर्ग से निकलने पर एक गेरूआ पहाड़ दिखता है लोग कहते हैं कि इस पहाड़ पर लाखों वीरों की तलवार की धार उतारी गई थी । सोननदी की धारा में एक हाथी की शक्ल का पत्थर है इसे लोग मोलागत राजा का कर्मामेल हाथी बताते है जो लोरिक द्वारा मारा गया था। इस दुर्ग तक चोपन से नाव द्वारा पहुंचा जा सकता है।

VIJAYGARH KILA

यह किला राबर्टसगंज से लगभग 28 किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व में सोन नदी के तट पर स्थित है । राबर्टसगंज से 15 कि0 मी0 पूर्व दक्षिण चतरा गांव से एक सड़क धनरौल बांध तक जाती है जंहा से मऊ गांव तक जो चतरा से करीब 10 15 कि0 मी0 होगा जीप द्वारा कभी भी जाया जा सकता है बरसात के बाद किले तक पहुंचने के लिये जंगल विभाग द्वारा कच्ची सड़क का निर्माण हो जाता है । इस दुर्ग का निर्माण पॉंचवी शताब्दी में कोल राजाओं द्वारा कराया गया था । इस किले में लगभग 12 बड़े बड़े कक्ष और चार तालाब ऐसे हैं जिनका जल कभी समाप्त नहीं होता है । इस दुर्ग के शिलालेख गुहाचित्र एवं कलात्मक मूर्तियां अत्यन्त दर्शनीय हैं । गंगा की तलहटी से करीब 400 फीट ऊंचाई पर बना यह किला काशी नरेश राजा चेत सिंह के अधिपत्य में अंग्रजो के आने के समय तक रहा है । यह किला चरो तरफ से दीवार से घिरा हुआ है जिस पर तोपची निशान लगाये बैठे रहते होंगे ।किले के मुख्यद्वार को सीढ़ियों से नीचे से जोड़ा गया था जो अब टूट चुकी है । कहते हैं कि यह तिलस्मी किला है तथा इसके नीचे भी एक किला छिपा है ऐसा देखने से प्रतीत होता है । मुख्य द्वार से आगे बढ़ने पर रानी का महल है । रानी के महल में पत्थर की कलात्मक कलाकारी की गयी है । अन्दर कमरे तथा बरामदे बने हुये हैं जो अब गिर रहे हैं । इस किले पर अप्रेल के महीनें में हर वर्ष एक उर्स का आयोजन होता है जिसमें लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं । यह उर्स सुप्रसिद्व सैयद हजरत मीरान शाह बाबा की मजार पर आयोजित होता है । मजार के चारो ओर अब दीवार बनाई जा रही है जिसमें चुने दो पत्थरो को देखने से पता चल्ता है कि वंहा एक शिला पर कुछ लिखा हुआ है जो हिन्दु परम्परा तथा धर्म से सम्बंधित है । इस मकबरे के पास एक बड़ा तालाब है जिसका पानी साफ है । आगे चलकर रामसागर तालाब है । इसके साथ ही राजा का महल है । खिड़की का दरवाजा बन्द कर दिया गया था जिसे फिर खोल कर उधर से चढ़ने उतरने का रास्ता बनाया गया है रास्ते में एक गणेश की दाहिने सूड़ की प्रतिमा है।

कोई बुरा ना माने,

मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...