सोमवार, 8 जून 2020
मानसिकता बदलें लोग
सही या गलतॽ
नियमों का पालन जरूरी
दोबारा सोचे सरकार
बचाव के उपाय तलाशे सरकार
शुक्रवार, 5 जून 2020
अमानवीय कृत्य
केरल में गर्भवती हथिनी के साथ हुई बर्बरता हृदय-विदारक है। हमारे संविधान में सभी जीवों के प्रति दया की भावना रखने की बात मौलिक कर्तव्यों में कही गई है। हमारी संस्कृति में भी कई जीवों को पूजनीय माना जाता है और अहिंसा को महत्व दिया जाता है। ऐसे में, देश के सबसे शिक्षित राज्य में ऐसी अमानवीय घटना हमें चिंतित करती है। शत-प्रतिशत साक्षरता का भला क्या उद्देश्य होना चाहिए? क्या शिक्षा-व्यवस्था में सुधार की जरूरत है? जानवरों के अधिकारों को लेकर हमें ज्यादा गंभीर होना चाहिए। यह सही है कि देश में हर व्यक्ति को उनके अधिकार नहीं मिल पाते हैं, लेकिन मानवाधिकार और अन्य जीवों के अधिकार की बात एक साथ होनी चाहिए। ऐसा क्रूरतापूर्ण काम करने वालों से भला मानवता की क्या उम्मीद की जाए!
बढ़ता तनाव
केरल के एक गांव में नौवीं कक्षा की एक छात्रा ने जिस तरह से आत्महत्या की, उससे कई सवाल उठ खड़े होते हैं। कहा जा रहा है कि ऑनलाइन पढ़ाई न कर पाने की वजह से वह दबाव में थी। यह बेहद अफसोस की बात है कि एक बच्ची पढ़ना चाहती थी, पर संसाधन के अभाव में हताशा के गर्त में चली गई और अपनी जान दे बैठी। सचमुच, सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे इतने संपन्न नहीं होते कि उनके पास स्मार्टफोन, टीवी, केबल आदि हों। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन और इंटरनेट की जरूरत पड़ती है। उस बच्ची के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। संभवत: पिता की आर्थिक मजबूरी रही होगी कि वह अपनी बेटी की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए जरूरी संसाधन नहीं जुटा पाया। दिक्कत यह है कि सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू तो कर दी, लेकिन इसके लिए अपनी तैयारी पूरी नहीं की। कुछ समय लगाकर पहले अभिभावकों को तैयार करना जरूरी था। यह घटना सबक दे रही है कि हमें अपने आसपास ऐसे परिवारों की खोज-खबर जरूर लेनी चाहिए, जिनके मुखिया की आजीविका इस लॉकडाउन में चली गई हो और बुनियादी जरूरतें भी वह पूरी नहीं कर पा रहा हो।
कोई बुरा ना माने,
मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...
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