प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा है‚ लेकिन कुछेक बाधाएं हैं। सबसे बड़ी बाधा है जाति–आधारित मुफ्त की सेवाएं सरकारों द्वारा देना‚ सब्सिडी देना। मोदी सरकार कुछ ऐसे फैसले ले कि देश के हर वर्ग के लोग इस काबिल हो जाएं कि सरकार को किसी को भी मुफ्त की कोई सुविधा देनी न पडे़Ã और इससे सरकारी खजाने पर बोझ पड़ने से भी बच जाए। इसके साथ भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यहां नई तकनीक की जरूरत को पूरा करना होगा‚ हमारा देश तकनीक के क्षेत्र में अभी तक चीन से पीछे है‚ इसलिए यहां नई तकनीक को बढ़ावा देने की बहुत ज्यादा जरूरत है।
शुक्रवार, 12 जून 2020
बेवजह की बदनामी
सब कुछ वापस आ सकता है‚ मगर कहते हैं कि बीता हुआ समय कभी लौटकर नहीं आता। कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय भारोत्तोलन खिलाड़ी के. संजीता चानू पर डोपिंग के आरोप लगे थे जबकि चानू शुरू से ही आरोपों को नकार कर खुद को निर्दोष बता रही थीं। आखिरकार‚ पड़ताल से वह डोपिंग के आरोप से मुक्त हुई हैं। इस बात की खुशी है। मगर दुख इस बात का है कि बिना वजह हमारी प्रतिभा को बदनाम किया गया जिससे वह मानसिक पीड़ा का शिकार हुइÈ। कहना न होगा कि खिलाड़़ी किसी प्रतिस्पर्धा की तैयारी में स्वयं को पूरी तरह झोंक देता है।
जंगल बढ़ना हो अनिवार्य
हाल ही में गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान में एशियाई शेरों की गणना की गई‚ गणना में पिछले पांच साल में १५१ शेर बढ़े जो शेरों की कुल संख्या का करीब २९ हैं‚ पांच वर्ष पहले जहां गिर उद्यान में ५२३ शेर थे‚ वहीं अब ६७४ हो गए हैं। पर बढ़ते शहरीकरण और कटते जंगलों के कारण शेरों का मानव बस्तियों में घुसने और लोगों और पशुओं को शिकार बनाने की घटनाएं भी आये दिन होती रहती हैं‚ शेर बढ रहे हैं‚ तो जंगल को भी बढाना अनिवार्य हो गया है‚ ताकि शेरों और अन्य वन्य जीवों को जंगल में भोजन–पानी मिलता रहे॥
हाथी के नाम हिस्सा
कुछ दिन पूर्व जहां केरल में किसी खुदगर्ज इंसान ने अपने खेल के लिए अनानास के भीतर पटाखे छुपा कर तीन जिंदगियों की जान ली थी। हथनी की‚ उसके बच्चे की व उस भरोसे की जो हथिनी ने हम इंसानों पर दिखाया था। परंतु पटना के दानापुर के जानीपुर में रहने वाले अख्तर इमाम ने मानवता की प्रतिमान दी है। हाथियों के नाम अपना सब कुछ निछावर करने के बाद अब जानीपुर में सब लोग अख्तर को हाथियों वाला कहकर पुकारते हैं क्योंकि उन्होंने अपने हिस्से की लगभग ५ करोड़ रुûपये की जायदाद‚ खेत–खलिहान‚ मकान‚ बैंक बैलेंस‚ सभी दोनों हाथियों–मोती और रानी–के नाम कर दिया है।
निजी शिक्षकों की पीड़ा
वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से लगभग तीन महीने की देशबंदी के कारण कई क्षेत्रों पर बहुत बुरा असर पड़ा है। इनमें से एक निजी क्षेत्र के शिक्षक भी हैं। लॉकडाउन में स्कूल तो बंद हुए ही, सरकार ने दिशा-निर्देश जारी करके बताया कि बच्चों की फीस के लिए अभिभावकों को परेशान नहीं किया जाएगा। इस बात का समर्थन पूरा देश कर रहा है कि लॉकडाउन के दौरान अभिभावकों पर फीस का दबाव डालना गलत है। मगर इस बात से भी इनकार करना मुश्किल है कि जो शिक्षक दूसरे बच्चों के जीवन को संवारने के लिए अपनी जान लगा देते हैं, आज उनका जीवन अंधकारमय होने लगा है। उन्हें देखने वाला कोई नहीं है। हमारे समाज और सरकार, दोनों को निजी शिक्षकों की परेशानियों की ओर ध्यान देना चाहिए।
फिर से विचार हो
सीबीएसई ने 12वीं कक्षा की बची हुुई परीक्षाएं 1 जुलाई से लेने की बात कही है। उसका कहना है कि प्रत्येक परीक्षा केंद्र पर दैहिक दूरी का कड़ाई से पालन किया जाएगा। मगर यह भी सत्य है कि पूरे देश में संक्रमण और मौत के आंकडे़ विकराल रूप लेते जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि दिल्ली में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या जुलाई में लाख को पार कर जाएगी, जबकि मुंबई पहले ही संक्रमण के मामले में वुहान को पीछे छोड़ चुका है। ऐसे में, जब तमाम छात्र, अध्यापक और अभिभावक परीक्षा के लिए घर से बाहर निकलेंगे, तो कोरोना से संक्रमित होने की आशंका बहुत हद तक बढ़ जाएगी। मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए सीबीएसई अपने फैसले पर फिर से विचार करे।
बढ़ती ताकत
चीन दोतरफा षड्यंत्र रचकर भारत को घेरना चाहता है। पहले तो उसने नेपाल को हमारे खिलाफ उकसाया, और फिर लद्दाख में अपनी फौज बढ़ाई। खैर, नेपाल ने बाद में अपनी गलती मान ली, लेकिन चीन का जवाब देने के लिए भारत ने भी सीमा पर अतिरिक्त फौज भेज दी। इससे चीन के सुर अचानक बदल गए। वैसे, चीन को यदि अब भी लगता है कि भारत उससे कमजोर है, तो उसे अपने भ्रम से ऊपर उठ जाना चाहिए। यह हमारी बढ़ती ताकत का ही नतीजा है कि अब हम चीन को उसी की भाषा में जवाब देने लगे हैं।
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