सोमवार, 15 जून 2020

भारत और नेपाल संबंधों को मजबूत बनाएं

भारत और नेपाल मैत्री संबंध इतने गहरे थे कि दोनों देशों के नागरिक बिना किसी पासपोर्ट–वीजा के आया करते थे। आज भी भारत नेपाल को अपना अच्छा मित्र मानता है‚ लेकिन पिछले कुछ महीनों से न जाने किसकी काली नजर लग गई‚ जिससे नेपाल ने पूरा तेवर ही बदल दिया। चाहे नेपाल में आने वाला विनाशकारी भूकंप हो या अन्य समस्याएं‚ नेपाल की मदद को भारत हमेशा तैयार रहता है। नेपाल की संसद में सीमा विधेयक को पारित करने से सीमा विवाद और गहरा हो रहा है। दोनों देशों को हर स्तर पर अपने संबंधों को बचाना चाहिए। विश्व में इतना बड़ा उदाहरण और कहां हो सकता है‚ जहां बिना पासपोर्ट और वीजा के यात्रा की जा सके॥

भ्रष्टाचार और लालफीताशाही बड़ी बाधा

प्रधानमंत्री मोदी की आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना के तहत विदेशी कंपनियों के निवेश को लेकर किया गया विश्लेषण सटीक है। निश्चित ही हमारे देश का आधारभूत ढांचा और अन्य परिस्थितियां अभी ऐसी नहीं हैं जो चीन से बाहर निकलने को आतुर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपनी ओर आकर्षति कर सकें। आजादी के बाद इस देश की नीति नियंत्रक राजनीति का उद्देश्य राष्ट्र-विकास की अपेक्षा स्व-विकास बन गया। जिसके फलस्वरूप राजनीति में भ्रष्टाचार और कदाचार को प्रश्रय मिलने लगा। ऐसे में राजनीति की चेरी बन चुकी देश की प्रशासनिक मशीनरी भी इससे अछूती नहीं रही। आज भले ही प्रधानमंत्री मोदी का सपना भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का है, लेकिन इस देश की राजनीति और लालफीताशाही में व्याप्त आधिकारिक भाव और तद्जन्य भ्रष्टाचार विकसित और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा बन रहे हैं। यद्यपि अब देश में विकास योजनाओं के क्रियान्यवयन को लेकर वैसी स्थिति नहीं रही जिसके संबंध में यह कहा जाता रहा है कि विकास के नाम पर केंद्र से निकलने वाला एक रुपया मूल लाभार्थी तक पहुंचते-पहुंचते 15 पैसे रह जाता है, शेष 85 पैसे ऊपर से नीचे तक की हिस्सेदारी की भेंट चढ़ जाता है। अब मोदी की डिजिटल इंडिया में केंद्रीय विकास योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थी को मिल रहा है। बावजूद इसके ‘तू डाल-डाल, मैं पात-पात’ की तर्ज पर भ्रष्टाचार के आदी लोग हर चौकसी का तोड़ निकाल ही लेते हैं। अब जहां तक विदेशी कंपनियों के निवेश का प्रश्न है तो वे भी पग-पग पर नियमों का हवाला देकर अवरोध पैदा करने वाली भारत की प्रशासनिक मशीनरी से सशंकित हैं। ऐसे में सरकारी काम-काज को निर्बाध रूप से संपादित करने के लिए डिजिटल इंडिया के न्यू कांसेप्ट को बढ़ावा देकर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की जरूरत है

सिनेमा जगत से स्तब्धकारी खबर

सिनेमा जगत से ऐसी खबर निकलकर आई जिसने लोगों के अंतर्मन को झकझोर कर रख दिया। समाज में कुछ ऐसे भी चेहरे होते हैं जिनसे हम कभी रूबरू तो नहीं हुए रहते सिवाय बड़े पर्दे के लेकिन उनके चले जाने से दर्द अपनों जैसा होता है। इतनी कम उम्र में अभिनय की दुनिया में बड़ा मुकाम हासिल करने वाले सुशांत सिंह राजपूत के जाने से उनके करोड़ों चहेते स्तब्ध हैं। हाल ही में आई फिल्म ‘छिछोरे' में सुशांत ने खुदकुशी न करने के बारे में बताया और वह असल जिंदगी में खुद आत्महत्या कर सकते हैं‚ यह हर कोई मानने से इनकार कर रहा है। सुशांत के जाने से बॉलीवुड ही नहीं बल्कि बिहार ने भी अपना अमूल्य कलाकार खो दिया है।

तकलीफ में नर्स

पीपीई किट जो डॉक्टरों का एक मात्र सहारा है‚ लेकिन अब यह डॉक्टर महिलाओं के लिए आफत बन गई। हर महीने होने वाली मासिक समस्या से हर महिला को गुजरना होता है। डॉक्टर महिलाओं को भी इस समस्या से गुजरना होता है। महिला डॉक्टरों व नर्स ८ घंटे काम कर रही हैं‚ जिसके कारण उन्हें मासिक धर्म में काम करना पड़ रहा है। एक पैड को केवल ५ घंटे तक ही इस्तेमाल करना होता है ‚ लेकिन महिला वॉरियर्स को एक पैड में ८–८ घंटे से ज्यादा समय गुजारना पड़ रहा है। इन सब तकलीफों से आजिज आकर नर्सों ने ४ घंटे ड्यूटी की मांग की है। सरकार इस पर क्या फैसला लेगी‚ वो तो समय बताएगा पर क्या सरकार को वॉरियर्स की परेशानियों का समाधान नहीं करना चाहिए॥

शुक्रवार, 12 जून 2020

नई तकनीक जरूरी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा है‚ लेकिन कुछेक बाधाएं हैं। सबसे बड़ी बाधा है जाति–आधारित मुफ्त की सेवाएं सरकारों द्वारा देना‚ सब्सिडी देना। मोदी सरकार कुछ ऐसे फैसले ले कि देश के हर वर्ग के लोग इस काबिल हो जाएं कि सरकार को किसी को भी मुफ्त की कोई सुविधा देनी न पडे़Ã और इससे सरकारी खजाने पर बोझ पड़ने से भी बच जाए। इसके साथ भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यहां नई तकनीक की जरूरत को पूरा करना होगा‚ हमारा देश तकनीक के क्षेत्र में अभी तक चीन से पीछे है‚ इसलिए यहां नई तकनीक को बढ़ावा देने की बहुत ज्यादा जरूरत है।

बेवजह की बदनामी

सब कुछ वापस आ सकता है‚ मगर कहते हैं कि बीता हुआ समय कभी लौटकर नहीं आता। कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय भारोत्तोलन खिलाड़ी के. संजीता चानू पर डोपिंग के आरोप लगे थे जबकि चानू शुरू से ही आरोपों को नकार कर खुद को निर्दोष बता रही थीं। आखिरकार‚ पड़ताल से वह डोपिंग के आरोप से मुक्त हुई हैं। इस बात की खुशी है। मगर दुख इस बात का है कि बिना वजह हमारी प्रतिभा को बदनाम किया गया जिससे वह मानसिक पीड़ा का शिकार हुइÈ। कहना न होगा कि खिलाड़़ी किसी प्रतिस्पर्धा की तैयारी में स्वयं को पूरी तरह झोंक देता है।

जंगल बढ़ना हो अनिवार्य

हाल ही में गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान में एशियाई शेरों की गणना की गई‚ गणना में पिछले पांच साल में १५१ शेर बढ़े जो शेरों की कुल संख्या का करीब २९ हैं‚ पांच वर्ष पहले जहां गिर उद्यान में ५२३ शेर थे‚ वहीं अब ६७४ हो गए हैं। पर बढ़ते शहरीकरण और कटते जंगलों के कारण शेरों का मानव बस्तियों में घुसने और लोगों और पशुओं को शिकार बनाने की घटनाएं भी आये दिन होती रहती हैं‚ शेर बढ रहे हैं‚ तो जंगल को भी बढाना अनिवार्य हो गया है‚ ताकि शेरों और अन्य वन्य जीवों को जंगल में भोजन–पानी मिलता रहे॥

कोई बुरा ना माने,

मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...