देश के करोड़ों गरीब मजदूरों ने हजार किलोमीटर से ऊपर भी पैदल चल कर अपने घर पहुंच कर सरकार को यह बता दिया अगली बार सारे राष्ट्रीय खेलों के मैराथन पुरस्कार और इन पुरस्कारों के साथ दी जाने वाली आर्थिक राशि इन लॉकडाउन के समय पर यात्रा करके अपने घर पहुंचे मजदूरों को ही मिलना चाहिए और मंदी की स्थिति में इन खेलों पर साल दो साल का ना आयोजित किए जाने का सख्त निर्णय लेना चाहिए, जिससे कि इन मजदूरों की आर्थिक हालात थोड़े सुधर सके।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई बुरा ना माने,
मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...
-
मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...
-
कोविड़–१९ के प्रकोप का दौर अभी भी जारी ही रहेगा क्योंकि वायरस किसी भी ढंग से कम नहीं हो रहा है। समूचे विश्व में तमाम कोशिशों के बावजूद कोरोन...
-
आगामी ६ सितम्बर को हांगकांग की ७० सदस्यों वाली विधान परिषद् का चुनाव होना निश्चित है। मगर इस बार का मंजर बिल्कुल अलग होने वाला है। जैसा कि ड...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें