हर महामारी ने समय-समय पर मनुष्य के लिए संकट पैदा किया है, लेकिन उसके साथ वह इंसान को कई सीख और संदेश भी देकर गई है। वर्तमान में अपने चरम पर चल रही कोरोना महामारी के साथ भी ऐसा ही है। कोरोना से हमारी जंग जारी है। बतौर सबक उत्तर प्रदेश जैसे राज्य श्रमिक आयोग के गठन की घोषणा कर रहे हैं, तो केंद्र सरकार भी ‘माइग्रेंट वर्कर्स' को परिभाषित करने जा रही है, जो आने वाले वर्षों में काफी राहतपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं। एक सबक यह भी है कि प्रकृति से खिलवाड़ जानलेवा हो सकता है, और अगर हम यूं ही उसके साथ छेड़छाड़ करते रहे, तो वह अपने घाव खुद भर सकती है। तो क्या आगे भी हम पर्यावरण को स्वच्छ रखेंगे? लॉकडाउन अवधि में अपराधों में आई कमी कायम रखेंगे? पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण बंद करेंगे? इन सवालों का सटीक जवाब अभी नहीं दिया जा सकता, लेकिन गांधी जी के स्थानीय स्वशासन के मंत्र को यदि हम अपना लें, तो देश भर में होने वाला भीतरी पलायन भी रुक सकता है। राज्य सरकारों को इसकी तरफ सोचना चाहिए।
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