शुक्रवार, 31 जुलाई 2020
प्रकोप जारी है
मनरेगा मजदूरी कम
चुनाव और वह भी चीन में!
शिक्षा नीति को लेकर सवाल
सोमवार, 27 जुलाई 2020
कड़़ी कार्रवाई जरूरी
जनता से संवाद
भविष्य का सवाल है
सतर्क रहना होगा
बुधवार, 22 जुलाई 2020
ऑनलाइन मतदान का विकल्प
वर्तमान समय में पूरी दुनिया के साथ बिहार में भी कोरोना का कहर जारी है। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के काल में ऐसा लग रहा है मानो सरकार चुनाव कराने के लिए कटिबद्ध हो लेकिन आज कोरोना का प्रकोप कहर ढा रहा है। लोगों को इलाज की जरूरत है‚ सरकार को चुनाव कराने की इतनी ही ज्यादा जल्दी है और लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए इतनी ही बेकरारी है‚ तो ऑनलाइन चुनाव करवाने की व्यवस्था करनी चाहिए। ऑनलाइन शॉपिंग की तरह ऑनलाइन मतदान की व्यवस्था करे। जिस तरह नेट बैंकिंग द्वारा पैसा ट्रांसफर हो जाता है‚ उसी तरह मतदान की व्यवस्था क्यों नहीं की जा सकती। लोकतंत्र को जिंदा रखने के नाम पर लोक के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं किया जाए। विदेशों में कोरोनाकाल में चुनाव होने का तर्क देकर बिहार में भी चुनाव कराने का तर्क दिया जाता है‚ तो उन्हें विशाल मतदाता संख्या को भी देखने की जरूरत है।
विधायकों की पिंजड़़ाबंदी
न हो अनर्गल शब्दों का प्रयोग
विगत दिनों से राजस्थान में राजनीति के अंतर कलह और दांवपेच जग जाहिर हैं। राजनेताओं के आपसी मतभेदों की चरम सीमा यहां तक पहुंच गई कि निकम्मा‚ नाकारा जैसे शब्द उस माहौल में गूंज रहे हैं। वरिष्ठ नेताओं के आक्रोश भरे मतभेद ओर अंतर कलह की इस प्रतियोगिता में राजनेताओं को यह भी भान नहीं होता कि हम आरोप–प्रत्यारोप में जिन शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं‚ उनका जना धार पर और समाज पर क्या प्रभाव होगा.ॽ कम से कम अशोभनीय और अनर्गल शब्दों का तो ध्यान रखना चाहिए। निकम्मा‚ नाकारा जैसे शब्दों का अगर प्रयोग होगा तो राजनीति के मायने ही बदल जाएंगे॥
फिर लगाएं बंदिशें
सोमवार, 13 जुलाई 2020
पाऊच लॉकड़ाउन में
किस करवट बैठेगाॽ
सख्त बने कानून
सावन की छटा गायब
गुरुवार, 9 जुलाई 2020
सीबीआई जांच हो
मिलीभगत का भंड़ाफोड़़ हो
राजनीतिक संरक्षकों को सजा मिले
शनिवार, 4 जुलाई 2020
बहिष्कार की होड़
इन दिनों देश में चीनी माल के बहिष्कार का माहौल है। सरकार के अंदर भी अलग-अलग मंत्रलयों की ओर से चीनी उपकरणों का उपयोग न करने को लेकर लगातार फैसले हो रहे हैं। अब तक केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और बिजली मंत्री आरके सिंह की ओर से घोषणाएं हो चुकी हैं। बताया जा रहा है कि दूसरे मंत्रियों ने भी अपने-अपने विभागों में अधिकारियों को इसकी पड़ताल में लगा दिया है कि वे पता करें कि उनके अधीन आने वाले किसी भी मामले में चीनी माल आता है या नहीं। उन्हें हिदायत है कि वे यह फटाफट मालूम करें ताकि इसके उपयोग न करने की घोषणा की जा सके। कुछ लोगों ने तो यह तक तलाशना शुरू कर दिया है कि उनके घर पर कौन-कौन से चीनी सामान हैं।
विकल्प नहीं तो करें क्या
चीन के साथ जारी तनातनी और चीनी सामान के बहिष्कार को लेकर व्यापारी एक-दूसरे को कोसने से नहीं चूक रहे हैं। हाल ही में कई जगहों पर चीन के सामान की होली जलाई गई, लेकिन कई व्यापारी अपने ही व्यापारी दोस्तों से यह कहते देखे गए कि उन्हीं चीनी सामान की होली जलाई जा रही है जो बेकार हो गए हैं। व्यापारी यह भी कहते सुने गए कि जिस फोन से चीनी सामान के होली जलाने की तस्वीर खींच रहे थे, वे भी चीन के हैं। लेकिन किसी व्यापारी ने फोन को तो नहीं जलाया। इनकेमतभेद इसलिए भी हैं कि चीनी सामानों पर रोक की स्थिति में दिल्ली के थोक बाजार के आधे कारोबार बंद हो जाएंगे। देश का सबसे बड़ा इलेक्टिक बाजार भगीरथ पैलेस में तो 60 फीसद माल चीन से आता है। ऐसे में यहां के कारोबारी साफ बोल रहे हैं कि चीन का सामान बेचने के अलावा उनके पास अभी विकल्प ही क्या है?
एप की याद
सरकार ने टिकटॉक समेत चीन के 59 एप को बैन तो कर दिया है, लेकिन इस कारण सरकारी कर्मचारियों का टाइम पास नहीं हो रहा है। असल में ये कर्मचारी इन दिनों काम के दौरान अपने खाली समय में टाइम पास के लिए चीनी एप का खूब इस्तेमाल कर रहे थे। अब इन कर्मचारियों ने सरकारी दायित्व समझते हुए अपने-अपने मोबाइल फोन से टिकटॉक और हेलो जैसे चीनी एप को हटा तो दिया है, लेकिन इनके दिल में इस बात की कसक जरूर रह गई है कि अब उन्हें टिकटॉक का मजा नहीं मिल पाएगा। चीनी एप की जगह कई भारतीय एप आ तो गए हैं, लेकिन पिछले कई सालों से चीनी एप के अभ्यस्त इन कर्मचारियों को शायद उनके देसी अवतारों की कोई जानकारी नहीं। उनकी जानकारी के बाद शायद उनका गम कुछ कम हो सके।
सियासी बंगला
बुधवार, 24 जून 2020
सफाई न होने से गलियों में जलजमाव
लोकतंत्र की हत्याए.
बारिश ने खोली पोल
मनरेगा की जांच हो, खुलेगा राज
बच्चों को दें अच्छे संस्कार
AGHORI KILA
VIJAYGARH KILA
HANTHI NALA
MUKKHA DARI
GARAGJAWA
OBRA GUPHA
KANDAKOT
DUDHIYA NALA
SODHARIGARH DURG
मंगलवार, 23 जून 2020
संतोष से ही मानसिक शांति संभव
आज बड़ी संख्या में लोग मानसिक तनाव के साथ जी रहे हैं। इसका एक कारण है कि मनुष्य ने धन को ही सवरेपरि मान लिया है। जो जितना असंतुष्ट है वह उतना ही आधुनिक समझा जाने लगा है। जीवन अपनों से दूर हो गया है। फलस्वरूप तनाव स्वाभाविक है। यह जीवन में मुसीबतें ही लेकर आता है। याद रखें कि केवल संतोष से ही मानसिक शांति और सुख मिल सकता है।
कितनी कारगर है दवा
ब्रिटेन के शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें एक ऐसा प्रमाण मिला है जिससे कोविड-19 मरीजों को बचाया जा सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि डेक्सामेथासोन नामक स्टेराइड के इस्तेमाल से गंभीर रूप से बीमार कोविड मरीजों की मृत्यु दर में एक तिहाई तक की कमी आई है। इस दवा के काफी उत्साहजनक नतीजे अभी तक मिल रहे हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि जल्द ही इस दवा को लेकर एक रिसर्च पेपर भी प्रकाशित किया जा सकता है। वैसे तो अध्ययन की इस उपलब्धि को सकारात्मक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है, परंतु यह देखना अभी बाकी है कि यह अन्य लोगों पर यह कितनी कारगर साबित होगी।
गांव में ही रोजगार का सही कदम
लॉकडाउन के कारण पलायन करने वाले प्रवासी श्रमिकों को सरकार ने गांव में ही रोजगार देने का फैसला किया है, जो स्वागतयोग्य है। ऐसे कदमों से ही देश विकेंद्रीकरण की शानदार नीति से स्वदेशी और आत्मनिर्भरता की और तेजी से बढ़ सकता है। असल में गांव ही तो देश की प्रमुख इकाई है। आज देश में जनशक्ति और काम की कोई कमी नहीं है। कमी तो नीति और नीयत की ही है जिसे सही तरीके से सर्वहित में बनाने और लागू करने की जरूरत है।
चीन की नीयत में खोट
दो देशों के बीच में समझौते तभी सफल होते हैं जब दोनों उसका पालन करें। अगर एक भी देश इसका पालन नहीं करता है तो संधि का मकसद बेकार हो जाता है। यही समस्या भारत-चीन की सीमा पर है। एक दूसरे पर हथियार से हमला नहीं करने व सीमित संख्या में ही सैन्य बल तैनात करने की संधि के बावजूद चीन इसका उल्लंघन कर रहा है। इसका नतीजा खूनी संघर्ष के रूप में सामने आया। चीन अभी भी भारत की गलवन घाटी में तनाव पैदा करने में लगा हुआ है और अपनी गलती को नहीं मान रहा है। उसकी नीयत में खोट है। वह कभी भरोसे का देश नहीं रहा है। उसके साथ किसी भी तरह की वार्ता में बहुत सावधानी की जरूरत है।
चीन को आर्थिक नुकसान का झटका दें
विक्रम और वीरता राष्ट्रीय चरित्र
दुर्दशा पर आंसू बहा रहा क्षतिग्रस्त मार्ग
कैसे हो सुधार
सार्थक भूमिका निभाए विपक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा
शनिवार, 20 जून 2020
राजनीतिक खून का असर
मजबूत मन को पलीता
वचरुअल सुनवाई
पांच लाख करोड़ का रहस्य
शुक्रवार, 19 जून 2020
चीन का करें बहिष्कार
लद्दाख सीमा पर चीन के सैनिकों की कायराना हरकत से हमारा देश असहनीय पीड़ा से गुजर रहा है। इस घटना के बाद से भारत में स्वाभाविक तौर पर चीन का विरोध शुरू हो गया है। चूंकि भारत एक बड़ा बाजार है, इसलिए यहां चीन से काफी ज्यादा उत्पाद भी आते हैं। मगर अब भारत की जनता और स्थानीय कंपनियों ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। खबर है कि भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनी से साथ किया करार रद्द कर दिया है, तो बीएसएनएल और एमटीएनएल जैसी दूरसंचार कंपनियों में अब चीन की कंपनियों को टेंडर-प्रक्रिया में भाग नहीं लेने दिया जाएगा। जगह-जगह देश की जनता ने भी ‘बायकॉट मेड इन चाइना' की तख्ती टांगकर चीनी उत्पादों को जलाना शुरू कर दिया है। इसका चीन पर असर होगा, क्योंकि उसकी मजबूती उसके व्यापार से है, जो काफी हद तक वह भारत के साथ करता है। अगर प्रत्येक भारतीय यह फैसला कर ले कि वह चीनी सामान का इस्तेमाल नहीं करेगा, तो निश्चय ही शहीद हुए वीर जवानों को हम सच्ची श्रद्धांजलि दे सकेंगे।
योग की सार्थकता
योग का उद्देश्य व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाना है। कहा भी गया है कि पहला सुख निरोगी काया है, और निरोग शरीर के लिए योग के साथ-साथ हमारी दिनचर्या भी संयमित होनी चाहिए। पूरी दुनिया ने योग के होने वाले फायदों को महसूस किया है, इसलिए 21 जून को योग दिवस के मौके पर पूरा विश्व योग-क्रिया करता है। योग का लक्ष्य स्वास्थ्य-सुधार से लेकर मोक्ष प्राप्त करने तक है। यह एक कला है, जो स्वस्थ शरीर के साथ-साथ स्वस्थ मन को गढ़ने का काम करता है। इससे मिलने वाले प्रत्यक्ष और परोक्ष लाभ को देखते हुए हर आदमी को इसे अपने जीवन में उतारना चाहिए। अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें रोजाना योग अवश्य करना चाहिए। इससे हमें कई तरह के फायदे मिलेंगे।
व्यावहारिक नहीं है विरोध
आवेश में आकर चीनी उत्पादों का दहन। उसके झंडे जलाना। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पुतले और तस्वीरों में आग लगाना। चीनी उत्पादों के बहिष्कार के नारे लगाना। उनको न खरीदने की कसमें खाना। ये सब क्षणिक मानसिक गुस्से का स्वाभाविक इजहार है। मगर चीन पर हमारी निर्भरता इतनी है कि एकबारगी अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। दवा उत्पादों में लगने वाले कच्चे माल से लेकर ऑटोमोबाइल के कल-पुर्जे और इलेक्ट्रॉनिक सामान तक हम आमतौर पर चीन से ही मंगवाते हैं। चीन के उत्पादों की लोकप्रियता का बड़ा कारण यही है कि वे सस्ते होते हैं, जो भारत जैसे गरीब देश की जनता के लिए काफी मायने रखते हैं। इसलिए एक झटके में हम चीन से अपना कारोबारी रिश्ता खत्म नहीं कर सकते। दीर्घ अवधि की कोई योजना ही इसमें कारगर हो सकती है।
गरीबों के नाम पर
अपने देश में केंद्र और राज्य सरकारें गरीबों को सहायता पहुंचाने के लिए तमाम कोशिशें करती रहती हैं। कोरोना के बुरे दिनों में भी आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को राहत पहुंचाने के लिए सरकारें प्रयासरत हैं, लेकिन यह खबर शर्मनाक और निंदनीय है कि कुछ समृद्ध लोग राजनेताओं और सरकारी बाबुओं से मिलीभगत करके फर्जी गरीब बनकर लाभार्थियों की राहत सामग्री हड़प रहे हैं। इससे सरकारी खजाने को भी भारी चूना लग रहा है। अगर हमारे देश में फर्जी गरीब बनकर फर्जीवाड़ा यूं ही चलता रहा, तो आने वाले समय में देश की आर्थिक सेहत और बिगड़ जाएगी। इसका नुकसान हरेक तबके को होगा। इसलिए सरकारों को चाहिए कि वे इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए गंभीरता दिखाएं।
नहीं मिल रहा मजदूरों को लाभ
रखें शारीरिक दूरी का ख्याल
अब संभलने की जरूरत
चीन को सबक सीखाने का समय
बहिष्कार और आक्रामकता दोनों की जरूरत
सन्निकट है चीन की पराजय‘ध्वस्त करने होंगे
चीन का जवाब देना जरूरी
चीन की दादागिरी
सस्ता उत्पाद बनाएं कंपनियां
स्थगित हो परीक्षाएं
तेल के बढ़ते दाम
विश्वासघाती चीन
योग शिक्षकों की अनदेखी
बुधवार, 17 जून 2020
चीनी सामानों का करें बहिष्कार
किसानों की बुनियादी समस्या हो दूर
चीन की चाल
कृषि और स्वरोजगार की शिक्षा दें
जवाब देने का वक्त
खान-पान पर भी बरतें सावधानियां
अनलॉक में खुद पर नियंत्रण जरूरी
बढ़ती परेशानियां
पीठ पर वार
आत्महत्या से सभी आहत
चीन को जवाब जरूरी
अश्लीलता के खिलाफ
चीन की नापाक हरकत
दिनचर्या चलाना मुश्किल
मंगलवार, 16 जून 2020
नेपाल की मंशा
अफवाहों को रोकें
कोई बुरा ना माने,
मैं सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कोई भी मंदिर अगर बनता है तो उसके इतिहास से आप उसे गलत या सही कह सकते हैं कि क्यों बन रहा है लेकिन एक चीज हम ...
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हिमाचल प्रदेश में एक गर्भवती गाय का विस्फोटक पदार्थ खाने का मामला सामने आया है. इस मामले में एक शख़्स को गिरफ़्तार किया गया है. समाचार एजेंस...
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अभिभावक बच्चों पर उम्मीदों का बोझ लाद देते हैं जबकि बच्चों को अपने सपने पूरे करने देना चाहिए। अब बच्चों को लेकर माता-पिता में संजीदगी कम ...
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कानपुर–कांड़ का दुर्दान्त अपराधी विकास दुबे को काफी लम्बी जद्दोजहद के बाद अन्ततः मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्त में लिए जाने के बाद अब इस...